बीजेपी के विजय रथ को रोकने के लिय हाल हीं में एक नये जनता परिवार का निर्माण हुआ है, इस परिवार में सम्म्लित लोगों को देखते हुये ए नहीं लगता की ए जनता परिवार है इस परिवार में वही लोग सामिल हैं जो राजनीति केवल अपने परिवारिक स्वार्थ को पूरा करने के लिय करतें हैं, इस परिवार में ज्यादा तर वही पार्टियाँ हैं जो अपने पार्टी को परिवारिक जागीर बना कर चलातें हैं,
इसमें कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनपर भ्रस्टाचार के गंभीर आरोप है केवल आरोप हीं नहीं वो जेल भी जा चुकें हैं, ऐसे में ए लोग अपने डूबते राजनीतिक भविस्य को बचाने और अपने परिवार को सत्ता में काबिज रखने के लिय एकजुट हो रहें हैं ताकि देश की सत्ता में अपने परिवार को हमेशा के लिय काबिज रख सकें, अब इसका फैसला जनता को करना है कि वो इस परिवार को जनता परिवार या स्वार्थी परिवार के रूप में स्वीकारतें हैं।
अभी तत्कालीन चुनाव के नतीजो से तो ए स्वार्थी परिवार हीं साबित हुएं हैं बिहार चुनाव के बाद बिकुल सॉफ हो जायगा की इनको जनता परिवार के नाम से बुलाया जाय या स्वार्थी परिवार के नाम से.