न्यूनतम मजदूरी दर राजनीतिक चाल तो नहीं?
आजादी के इतने सालों बाद भी प्राइवेट नौकरी करने वालों के स्थिति पर किसी राजनेता या पार्टी की नजर नहीं पड़ी, सभी पार्टियाँ सत्ता में बारी बारी से आती रही जाती रही लेकिन किसी ने प्राइवेट नौकरी वालों के परेशानी से अनजान बनें रहें, सरकारी नौकरी वालों के लिय नये नये पे कमीशन, उससे किसी को कोई परेशानी नहीं