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न्यूनतम मजदूरी दर राजनीतिक चाल तो नहीं?

27 जनवरी 2015

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आजादी के इतने सालों बाद भी प्राइवेट नौकरी करने वालों के स्थिति पर किसी राजनेता या पार्टी की नजर नहीं पड़ी, सभी पार्टियाँ सत्ता में बारी बारी से आती रही जाती रही लेकिन किसी ने प्राइवेट नौकरी वालों के परेशानी से अनजान बनें रहें, सरकारी नौकरी वालों के लिय नये नये पे कमीशन, उससे किसी को कोई परेशानी नहीं हो सकती लेकिन उनके साथ साथ प्राइवेट नौकरी वालों पर भी ध्यान देना चाहिय था, प्राइवेट नौकरी वालों के अनदेखी के पीछे बहुत बड़ा कारण है जिसे नेताओं की मजबूरी भी कहा जा सकता है। चुनाव में करोरो रुपये खर्च होतें हैं जिसमे उन्ही व्यापारियों का पैसा लगा होता है जिनको मजदूरों को मजदूरी देना होता, व्यापारियों द्वारा चुनाव में पैसा खर्च करने का मकसद अपने व्यापार को ज्यादा से ज्यादा बढाना और ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाना है ऐसे में वो मजदूरों को ज्यादा मजदूरी कैसे दें सकतें, रही बात नेताओं की तो उनमें इतनी हिम्मत कहा की चुनाव में उनके लिय जो पानी की तरह पैसा बहाया हो उनके सहमति के बिना कोई फैसला लें, समस्या गंभीर है लाखों लोग इस समस्या के कारण परेशान हैं, इस समस्या के हल के लिय नेताओं को गंभीरता से फैसला लेना होगा इसमे अर्चने बहुत है। मोदी सरकार ने मजदूरों के समस्याओं को ध्यान में रखते हुये निम्नतम मजदूरी दर 15000 प्रति माह करने पर विचार कर रहें हैं मुझे अभी भी लगता है कि ए काम पूरा नहीं होगा क्योकि वो ताकतें जिनको इससे नुकसान होनेवाला है वो इसे पूरा नहीं होने देंगें, इसलिय अभी भी मुझे इसमे राजनीति हीं नजर आ रही है। अगर मोदी जी इसको लागू करनें में सफल हुएं तो लाखों मजदूरों का उनको साथ मिलेगा अब फैसला उनको लेना है की उनको लाखों मजदूरों के साथ चाहिय या देश के पूजीपतियों का.
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हरियाणा के मजदूरों से दूर कांग्रेस-बीजेपी

27 जनवरी 2015
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मैं आप सभी का ध्यान उन मजदूरों की तरफ दिलाना चाहता हूँ जो वर्षो से कांग्रेस के हाथों प्रातारित होता रहा और अब बीजेपी का फूल खिला है लेकिन ए फूल भी उनके लिय खुस्बू नहीं बल्कि ऐसा दुर्गन्ध ले कर आया है जो ना उनको जीने देगा ना हीं मरने देगा। जरा आपलोग दिल्ली और गुड़गाव हरियाणा के मजदूरी दर पर ध्यान दे

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काले धन की काली राजनीति

27 जनवरी 2015
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काला धन बहुत हीं करिश्माई सब्द है पता नहीं कितने नेता इस सब्द का इस्तेमाल कर अपनी राजनीतिक नैइया को पार लगा चुके हैं और कितने इसका इस्तेमाल कर अपनी काली करतूतों पर पर्दा डालनें की कोशिस कर रहें हैं, काला धन देश को कभी प्राप्त नहीं हो सकता क्योकि काला धन उन्हीं का है जो देश की सासन में अहम भूमिका निभ

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ठेकेदारी प्रथा देश के मजदूरों को श्राप

27 जनवरी 2015
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देश में ठेकेदारी प्रथा का सुरुआत जिसने भी किया हो वो देश के मजदूरों का सबसे बड़ा दुश्मन है, ठेकेदारी प्रथा मजदूरों के लिय ऐसा श्राप है जो उनको कभी भी आगे नहीं बढ़ने देगा, एक ऐसा सिस्टम बना दिया गया है जिसके जरिय मजदूरों के मजदूरी का आधा से ज्यादा भाग बैठे बिठाये ठेकेदारों के हिस्से में चला जाता है,

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मोदी और स्वच्छ भारत

27 जनवरी 2015
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मोदी जी नें पूरे देश को स्वक्छ्ता अभियान में सहयोग देने की अपील की है, उन्होने खुद भी इस अभियान को सफल बनानें के लिय मेहनत की है, देश के सभी जनता का दाइत्व है देश को सॉफ रकना लेकिन जनता के साथ साथ सरकार को भी कुछ व्यवस्था करनी होगी ताकि जनता के द्वारा इस अभियान को सफल बनाने में प्रोत्साहन और सहयोग म

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जनता परिवार या स्वार्थी परिवार

27 जनवरी 2015
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बीजेपी के विजय रथ को रोकने के लिय हाल हीं में एक नये जनता परिवार का निर्माण हुआ है, इस परिवार में सम्म्लित लोगों को देखते हुये ए नहीं लगता की ए जनता परिवार है इस परिवार में वही लोग सामिल हैं जो राजनीति केवल अपने परिवारिक स्वार्थ को पूरा करने के लिय करतें हैं, इस परिवार में ज्यादा तर वही पार्टियाँ है

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न्यूनतम मजदूरी दर राजनीतिक चाल तो नहीं?

27 जनवरी 2015
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आजादी के इतने सालों बाद भी प्राइवेट नौकरी करने वालों के स्थिति पर किसी राजनेता या पार्टी की नजर नहीं पड़ी, सभी पार्टियाँ सत्ता में बारी बारी से आती रही जाती रही लेकिन किसी ने प्राइवेट नौकरी वालों के परेशानी से अनजान बनें रहें, सरकारी नौकरी वालों के लिय नये नये पे कमीशन, उससे किसी को कोई परेशानी नहीं

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