मेघ
प्यासी धरती पर बारिश की,
बूॅदे बरसाने वाले ।
ओ आकाश बिहारी, काले-
मेघ तुम्हारा अभिनंदन ।।
सघन ग्रीष्म से व्याकुल होते,
तप्त धरा के सब प्राणी ।
जग की तपन मिटाने वाले,
मेघ तुम्हारा अभिनंदन ।।
यत्र तत्र सर्वत्र बिखेरे,
बीज प्रकृति ने उगने को
मोहक सृष्टि रचाने वाले,
मेघ तुम्हारा अभिनंदन ।
ग्रीष्म तपन