प्यासी धरती पर बारिश की,
बूॅदे बरसाने वाले ।
ओ आकाश बिहारी, काले-
मेघ तुम्हारा अभिनंदन ।।
सघन ग्रीष्म से व्याकुल होते,
तप्त धरा के सब प्राणी ।
जग की तपन मिटाने वाले,
मेघ तुम्हारा अभिनंदन ।।
यत्र तत्र सर्वत्र बिखेरे,
बीज प्रकृति ने उगने को
मोहक सृष्टि रचाने वाले,
मेघ तुम्हारा अभिनंदन ।
ग्रीष्म तपन से सूखे निर्झर,
सर,सरिता निर्जीव हुए ।
नवजीवन सरसाने वाले,
मेघ तुम्हारा अभिनंदन ।
लता,विटप,रसहीन,शोकमय,
शीतलता की चाह लिए ।
जल दे,कुसुम खिलाने वाले,
मेघ तुम्हारा अभिनंदन ।
हरी भरी चादर वसुधा को,
तुम ही अर्पित कर पाते ।
मन मयूर हरषाने वाले ,
मेघ तुम्हारा अभिनंदन ।
कालिदास के महाकाव्य में ,
विरह वेदना के तुम ही ।
"मेघदूत" कहलाने वाले ,
मेघ तुम्हारा अभिनंदन ।
-सतीश शर्मा ।