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जरा दूर से

3 दिसम्बर 2021

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बेशक चूर चूर कर देना हमारे सपनों का महल
मगर काँटों से सजा दर है जरा दूर से साहबarticle-image
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आंखों के सामने जो नज़र आता है उसे ही शब्दों में ढाल देता हूं।

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