बनिया सुखराम अपनी दुकान पर बैठा है, उसकी चौंक पर किराने के समान की दुकान है, वह हिसाब कर रहा है, तभी एक भीख मांगने वाली लड़की सीता जिसकी उम्र मुश्किल से 28 साल होगी जो दिखने में मैं नक्श से अच्छी है ,वह बचपन से ही अपनी मां के साथ इस इलाके में भीख मांगती थी ,मां के मरने के बाद भी वह इलाका छोड़ के नही गई , उसकी एक भिखारी के साथ संबंध भी बनते हैं पर कुछ दिनों में वह भी कहा चला गया किसी को पता नही, सीता सुखराम से कहती है, ये सेठ एक नहाने का साबुन दे दे मैं भी नहा लूं, सेठ कहता है पैसा ला, वह कहती है पैसा होता तो मांगती क्यों दे के खरीद ना लेती, चल एक छोटा ही दे दे बहुत दिन हुए नहाए, आज नहर में अच्छे से नहाएंगे, सुखराम उसके गदराए बदन को देखता है फिर उसे डांटता है और कहता है " चल भाग यहां से दूर से ही बसाती है
,दिन भर भीख देते रहेंगे तो एक दिन हम भीख मांगते फिरेंगे, कही बर्तन पोछा काहे नहीं करती ,"! वह कहती है, तु रख ले अपने यहां, साफ सफाई सब करूंगी ,मैं तो सबसे कहती हूं , पर कोई सुनता ही नही, मुझे दो चार रुपए देकर भगा देते हैं, बचपन से तुम लोगो के बीच में ही रही हुं, मैं कहां जाऊं ,मेरा घर तो यहीं हैं ना , कोई काम नहीं देगा , तुम लोग सामान नहीं दोगे तो क्या चोरी करे वह भी नहीं आता और अपने ही घर में चोरी कैसे करें, सभी तो अपने हैं,।वह जाती है,एक कस्टमर कहता है, " अरे सेठ दे देते , इतना कमाता है ,"! सेठ कहता है " बहुत तकलीफ हो रही है तो खरीद के दे दे, ! वह आदमी कहता है " चल ला दे दे , में दे दूंगा बेचारी को, !
सीता अपनी मस्ती में जा रही है तो सामने से हवलदार राधेश्याम आता है ,उसे देख सीता बोलती है, " अरे थानेदार साहब , बहुत दूसरो को लुटते हो लाओ 5 रुपए दो ,मुझे साबुन खरीदना है, नहाना है, "! हवलदार उसे डंडा दिखाकर कहता है " यही डाल दूंगा , चार डंडे पड़ेंगे तो बोलती बंद हो जाएगी, जब देखो पीछे पड़ी रहती है ,एक किलोमीटर से बदबू मारती है, चल भाग यहां से,! वह हंसती हुई जाती है, उसके हंसी में एक निश्चल पन है ,वैसे तो बहुत सारे लोग उसको खाने पीने का सामान देते रहते हैं, कुछ घर से तो उसे हमेशा खाना कपड़ा मिल जाता है,पर वह भी अल्हड़ पगली सी है, जहां इच्छा हो मांग ली नही तो पड़े पड़े पता नहीं क्या क्या बड़बड़ाती रहती है, रात हो चुकी है ,हवलदार और सुखराम की रात की दोस्ती जग जाहिर है , रात हुई दुकान बंद करके वह अपनी पुरानी कार निकालता है , और हवलदार के मांग कर लाई फ्री की शराब और गिफ्ट आइटम से बचे नमकीन सुखराम ले आता है, वैसे दोनो कई बार ऐश करने कई बार साथ में बाई के अड्डे पर भी चले जाते हैं वहां भी हवलदार का फ्री में काम चलता है,भले बाई पीछे से गालियां बकती रहे, खैर आज दोनो मूड बनाने में लगे थे ,आज तो हवलदार को अच्छी शराब मिली थी ,इसीलिए थोड़ा ज्यादा पी लिए और चढ़ भी गई , चढ़ने के बाद तो बाई की याद आ गई, पर बहुत देर हो चुकी थी, हवलदार बाई को फोन करता है तो वह टालते हुए कहती है साहब सब चली गई , अब कोई नही है, फोन रखकर उसे एक भद्दी सी गाली देती है और थूकती है,।
सुखराम कहता है " यार तुम काहे के पुलिस वाले हो , ढंग की व्यवस्था भी नहीं कर सकते, वैसे जबकि आज हवलदार ने चिकन और चिकन बिरयानी भी एक होटल से ले लिया था फ्री वाला, उसका भी मूड तो हो रहा था पर अब कहां मिलता , तभी उसकी नजर सामने फुटपाथ पर सोई सीता पर पड़ती है, पीने के बाद वह परी लग रही थी वह सेठ को इशारा करता है ,तो उसे याद आता है कि आज वह नहाने वाली थी ,फिर भी वह एक बार मुंह बनाता है तब तक हवलदार उसे उठाता है और पूछता है" खाना खाई ," ! वह न में सर हिलाती है तो वह कहता है ",चल आ तुझे मस्त खिलाता पिलाता हूं , "! वह भी उठकर आती है,तो वह उसे गाड़ी में बिठाता है और उसे शराब पिलाता है फिर खाना खिलाता है, उसे शराब चढ़ जाती हैं और वह बड़बड़ करते हुए गाड़ी में ही सोने लगती है तो हवलदार सेठ को इशारा करता है, तो सेट पहले मुंह बनाता है ,फिर गाड़ी में घुसता है, हवलदार बाहर खड़ा रहता है ,गाड़ी थोड़ी देर हिलती है, सेठ गाड़ी से बाहर आता है फिर हवलदार जाता है और सेठ बाहर खड़ा रहता है, ।
सुबह सीता रोज की तरह फिर सेठ के दुकान पर आती है तो वह उसे एक साबुन दे कर और एक नमकीन का पैकेट दे कर भगाता है, वह खुश होकर कहती है आज भी आएगा रात में सेठ घबरा कर कहता है भाग यहां से,वह कहती हैं रात में बदबू नहीं आई,!और हंसती हुई जाती है, बाहर निकलते ही हवलदार ड्यूटी करते देखती तो उसे कहती हैं " क्या , थानेदार साहब बहुत मजा आया ना, आज भी आना,! हवलदार उसे बुलाकर 20 रुपए देकर कहता है " चुप रह , ज्यादा मत बोलाकर तुझे जब भी तकलीफ हो मांग लिया कर , वह पगली अल्हड़ हंसते हुए भागती है, ,!