15 नवंबर 1989. ये वो तारीख है जब सचिन रमेश तेंडुलकर ने अपने इंटरनेशनल करियर का आगाज़ किया था. लेकिन ये पहली बार नहीं था जब वो इंटरनेशनल क्रिकेटर्स से भरी किसी टीम का हिस्सा बने थे. ऐसा पहले भी हो चुका था. तकरीबन दो साल पहले वो ऐसा कर चुके थे. जिस टीम का वो हिस्सा बने थे वो भारत के चिर-प्रतिद्वंदी पाकिस्तान की टीम थी. ये दिलचस्प किस्सा सचिन ने अपनी आत्मकथा ‘प्लेइंग इट माई वे’ में भी लिखा है.
तारीख थी 20 जनवरी 1987. सचिन अभी 14 साल के भी नहीं हुए थे. पाकिस्तान की टीम इंडिया के दौर पर थी. मुंबई के ब्रेबोर्न स्टेडियम में प्रैक्टिस मैच चल रहा था. क्रिकेट क्लब ऑफ़ इंडिया से. 40 ओवर का मैच था. जब मैच का आखिरी घंटा चल रहा था, तब पाकिस्तान के दो सीनियर खिलाड़ी जावेद मियांदाद और अब्दुल कादिर रेस्ट करने होटल चले गए. पाकिस्तान के कप्तान इमरान ख़ान CCI के कप्तान हेमंत केंकरे के पास गए और कहा कि उनके पास फील्डर कम हैं. उन्हें तीन-चार खिलाड़ियों की ज़रूरत है. दो लड़के आसपास ही टहल रहे थे. सचिन तेंडुलकर और खुशरू वसानिया. सचिन ने हेमंत की तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देखा और मराठी में पूछा,
“मी जाऊ का?” (मैं जाऊं?)
इससे पहले कि हेमंत केंकरे हामी भर पाते, सचिन ग्राउंड में थे. अगले 25 मिनट तक उन्होंने पाकिस्तान के लिए फील्डिंग की. एक वक़्त ऐसा भी आया जब कपिल देव का कैच सचिन की तरफ आया. सचिन खूब दौड़े लेकिन पहुंच नहीं सके. बाद में उन्होंने अपने साथी के पास निराशा भी जताई. कहा कि उन्हें कैच पकड़ लेना चाहिए था.
करीब 2 साल 8 महीने बाद सचिन ने पाकिस्तान के खिलाफ ही अपने करियर का आगाज़ किया. उसके बाद का तो सब इतिहास है.
यह लेख लल्लनटॉप से लिया गया है