19 मार्च 2017. नई-नई सरकार के नए-नए मुख्यमंत्री, महंत से मुख्यमंत्री बने योगी आदित्यनाथ शपथ ले रहे थे. 3 दिन पहले तक किसी को मालूम भी नहीं था कि ऐसा होने वाला है.
9 अप्रैल 2017. महीने भर से भी कम समय बिताने के बाद योगी आदित्यनाथ ने बताया की सियासी विरासत में उन्हें एक बेहद लचर और टूटा हुआ हेल्थकेयर सिस्टम मिला है. इसे वो जल्द से जल्द ठीक करेंगे और उत्तर प्रदेश के मरीजों को तरेंगे.
30 अगस्त 2017. गोरखपुर, योगी आदित्यनाथ का लोकसभा क्षेत्र, में एक महीने में 69 बच्चे मर गए. ऑक्सीजन की कमी के चलते.
3 अक्टूबर 2017. योगी आदित्यनाथ के केरल आने से ठीक पहले केरल सरकार ने एक ट्वीट करते हुए आदित्यनाथ को न्योता दिया कि वो केरल आएं और और वहां के अस्पतालों का निरीक्षण करें और समझें कि अस्पताल कैसे चलाये जाते हैं.
6 अक्टूबर 2017. योगी आदित्यनाथ ने केरल सरकार को जवाब दिया कि उल्टा केरल को उत्तर प्रदेस से सीखना चाहिए कि हेल्थकेयर सिस्टम कैसे चलाया जाता है. यूपी के सामने केरल का सिस्टम चाय कम पानी है.
इस पूरी टाइमलाइन को देखा जाए तो दो बातें लगती हैं. पहली ये कि सपा सरकार ने स्वास्थ्य की देख रेख की व्यवस्था बहुत खराब हालत में बीजेपी सरकार को सौंपी थी लेकिन वो इतनी भी लचर नहीं थी कि केरल के हेल्थकेयर सिस्टम से खराब हो. (जैसा कि आदित्यनाथ ने कहा.) दूसरी बात ये हो सकती है कि 19 मार्च से 6 अक्टूबर के बीच योगी सरकार ने लचर व्यवस्था को इतने दिनों में दुरुस्त कर लिया. कम से कम इतना तो दुरुस्त कर ही लिया कि वो केरल से काफ़ी बेहतर हो गई और उन्होंने लेफ़्ट की सरकार की धज्जियां उड़ा के रख दीं. मैं, दूसरे वाले ऑप्शन की ज़्यादा संभावना मानता हूं क्यूंकि ‘विकास’ ही इस सरकार का कीवर्ड है.
6 महीनों में इतना भयानक ओवरहॉल के बाद 5 महीने बीत चुके हैं. और आज सामने एक तस्वीर आ गई. उत्तर प्रदेश के हेल्थकेयर सिस्टम का फीडबैक फॉर्म समझिये. ‘अगस्त में बच्चे मरते ही हैं…’ जैसे कथन के बाद एक और नमूना. झांसी की घटना. लखनऊ, उत्तर प्रदेश की राजधानी से 315 किलोमीटर दूर जिला. जिले का बड़ा सा सरकारी मेडिकल कॉलेज. महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज. वो झांसी की रानी जिनके बारे में कहा जाता है कि लड़ते-लड़ते उनकी एक आंख और सर का वो हिस्सा कट कर गिर गया था लेकिन वो लड़ती रहीं. उसी मेडिकल कॉलेज का वीडियो. एक आदमी लेटा हुआ है. उसका पैर कट चुका है. और उसके पैर का वो हिस्सा जो काटकर अलग किया गया है, वो उसके सर के नीचे तकिये का काम कर रहा है!
ये ‘पड़ा हुआ आदमी’ 25 साल का घनश्याम है. झांसी के एक स्कूल की बस में क्लीनर है. बस शनिवार को एक एक्सीडेंट की चपेट में आ गई थी और पलट गई थी. इस वक़्त बस में बच्चे भी बैठे हुए थे. 6 बच्चे घायल हुआ और घनश्याम का पैर कट गया. मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी वार्ड में उसे लाया गया. और वहां जो हुआ, सामने है. ज़ख़्मी क्लीनर को जैसे ही वार्ड में लाया गया, उसका इलाज चालू हो गया. इस दौरान ये ज़रूरी था कि मरीज का सर ऊपर रखा रहे. वहां और कोई चीज़ मौजूद नहीं थी इसलिए उन्होंने उसके कट चुके पैर को ही उसके सर के नीचे रख दिया.
जब इस घटना के बारे में आस-पास बात होने लगी तो चीफ़ मेडिकल सुप्रिन्टेंडेंट हरीश चन्द्र ने 4 डॉक्टर्स को सस्पेंड कर दिया. इसमें सीनियर रेज़िडेंट डॉक्टर भी शामिल है. इसकी आगे की जांच के लिए एक कमिटी भी बनाई गई है.