जीना मरना खोना पाना हँसना रोना आना जाना जीवन का है खेल निराला खेल रहा जग का रखवाला बिखरे जब श्वासों की मणिका देह उड़े फिर तिनका तिनका क्या है प्यारे हाथ हमारे कर्म निभा तू चलता जा रे दीक्षा द्विवेदी सारस्वत बावरी
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22 मार्च 2018
जीना मरना खोना पाना हँसना रोना आना जाना जीवन का है खेल निराला खेल रहा जग का रखवाला बिखरे जब श्वासों की मणिका देह उड़े फिर तिनका तिनका क्या है प्यारे हाथ हमारे कर्म निभा तू चलता जा रे दीक्षा द्विवेदी सारस्वत बावरी
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