आपको हमसे मुहब्बत हो ज़रूरी तो नहीं आपकी हमपे इनायत हो ज़रूरी तो नहीं एक पत्थर से लगा बैठे लगन क्या है बुरा बस ख़ुदा की ही इबादत हो ज़रूरी तो नहीं ख़्वाब आँखें ही दिखाती हैं ख़ता दिल की कहाँ ख़्वाब अंजाम ए हकीक़त हो ज़रूरी तो नहीं हाँ चलो माना शरीफों ने बसाया ये नगर हर किसी में ही शराफत हो ज़रूरी तो नहीं बावरी छोड़ो ज़माने से तुम्हें क्या ताल्लुक़ नेक हर इसकी नसीहत हो ज़रूरी तो नहीं -दीक्षा सारस्वत बावरी
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