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जीवन मे सफलता प्राप्‍त करने के लिए या लोकप्रिय बने रहने के लिए हैं।

3 जून 2016

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जीवन मे हम प्रतिक्षण नवीन अनुभव प्राप् करते हैं और हमें प्रतिक्षण कई लोगो से मिलना होता है, अत: जीवन मे सफलता प्राप् करने के लिए या लोकप्रिय बने रहने के लिए हैं।

1.     हमेशा मुस्कराते रहिए। प्रसन्नता मुस्कराहट बिखेरने वाले लोगो के सैकडो मित्र होते है। कोई भी व्यक्ति उदास चेहरे के पास बैठ्ना पसंद नही करता।

2.     बातचीत मे अपनी तकलीफों का रोना मत रोइए, क्योकि लोग इस से आप के पास आने से हिचकिचाएगें, वे यही समझेंगे कि उसके पास जाते ही बह अपनी तकलीफों का रामायण पढ्ने लग जाएगा।

3.     दुसरो की तारीफ जी भर कर  किजिए पर तारीफ इस तरह होना चाहिए कि समने वाले को ऐसा लगे कि आप उसे मुर्ख बना रहे है।

4.     बातचीत मे हमेशा सामने वाले को ज्यादा से ज्यादा बोलने का मौका दीजिए और आप यथासम्भव कम बोलिए। ऐसा भी करे कि आप बिल्कुल चुप रहें।

5.     आप के वस्त्र सूरुचिपूर्ण हों तथा आपकी बातचीत मे किसी प्रकार से हलकापन हो, आप गम्भीरता से अपनी बात को कहने का प्रयत् किजिए।

6.     किसी भी अधिकारी या ऊचें से ऊचें व्यक्ति से मिलते समय मन मे किसी प्रकार की हिचकिचाहट अनुभव किजिए, अपने बात नम्रता से, पर दृढतापूर्वक उस के सामने रखिए।

7.     बार-बार अपनी गलती स्वीकार मत किजिए और बार बार क्षमा याचना करना भी ठीक नही है।

8.     किसी भी प्रकार से अपने उपर क्रोध को हावी मत होने दिजिए। यदि सामने वाला क्रोध करता भी है तो चुपचाप सहन कर लिजिए। केवल क्रोध को सहन करने के बाद ही वह पछताएगा और आप के प्रति उसका सम्मान जरुरत से ज्यादा बढ जाऐगा।

9.     मित्र को या किसी को भी मिलते समय उसको उस के नाम से पुकारिऐ और उस से ऐसी बातचीत किजिए जो उस को रुचिकर हो।

10. हमेशा आप ऊची सोसाइटी मे रहिए। द्स कलर्को के साथ घूमने के बजाए यदि आप किसी एक अधिकारी के साथ आधे घंटे के लिए भी घूम लेंगे तो लोगो मे आप का सम्मान और प्रतिष्ठा बढ जाएगा।

11. हमेशा उची स्तर के लोगो से मित्रता रखिए, जो समाज के विभिन् वर्गो से सम्बंधित हों। यदि आप डाक्टर हैं और आप की चालीस डाक्टरों से आप की मित्रता है तो उस का कोई विषेश लाभ नही। इस की अपेक्षा वकील, इन्कमटैक्स अधिकारी, कुशल व्यापारी, एस. पी आदि से मित्रता या परिचय आप के लिए ज्यादा अनुकूल रहेगा।

12. आप यथासंभव कम से कम असत्य बोलिए,क्योकि असत्य ज्यादा समय  तक नही चलता।

13. अपने आपको हमेशा तरो ताज़ा रखिए क्योकि बीमार, सुस्त और यदि आप थके हुए लगेगें तो आप ज्यादा उन्नति नही कर पाऐगे और समाज मे ज्यादा लोकप्रिय हो सकेगें।

14. कभी भी हलके रिस्तरां या होटल मे मत बैठिए। चाहे एक सप्ताह मे केवल एक बार ही एक कप चाए लें पर ऊची स्टैण्डर्ड के होटल मे ले, क्योकि वहां आप की टेबल पर जो कोई भी बैठा होगा वह समाज का ऊचें स्तर का होगा और उससे दोस्ती भी आप को समाज मे ऊचाई की ओर ले जाएगी, इस के विपरित हल्के होटल मे आप के दो पैसे ज़रुर कम लगेगें पर आप का स्तर हलका होगा और भूल से भी किसी परिचित ने आप को वहां देख लिया तो उस की नज़र मे आप का सम्मान कम होगा।

15. सडक पर खडे खडे कुछ मत खाईये, इसी प्रकार असभ्य भाषा का प्रयोग करते हुए साथियो के बीच भी खाऐं तो ज्यादा उचित होगा।

16. वस्त्र साफ हों, स्वच् और आप के  प्रकृति के अनुकूल हों लोगों को देख कर या उनके अनुकूल कपडे पहना आपकी व्यक्तिव (Personality) के अनुकूल नही  होगा।

17. ड्राइग रुम मे रखा हुआ रह सके।

18. अपनी स्मरण शक्ति प्रखर रखिए, यथासंभव मित्रो परिचितों के नाम याद रखिए।

19. इस बात का ध्यान रखिए कि आप की बातचीत से सामने वाले का ईगो संतुष् होना चाहिए।

20. सामने वाला जिस प्रकार का या जिस रुची का व्यक्ति हो उसी के अनुरुप बातचीत साल मे एक या दो बार अपने मित्रो या अधिकारियों को उपहार अवश्य दें चाहे वह उपहार कम कीमत की ही क्यो हो पर उपहार ऐसा होना चाहिए जो स्थाई हो, जो उसके करें             

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रचनाएँ
sphappinesworld
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देखिए आपको लगता है उसने गलत किया लेकिन अगर हम उनसे पूछे तो वो भी कहेंगे की नहीं मैंने सही किया अगर उन्हें लगता की ये गलत है तो वो करते ही ना।आपको कर्मो की गहन गति के बारे में भी सोचना चाहिए। क्योंकि जो भी आत्मा हमारे सम्बन्ध में आ रही है तो वो अपना पीछे के जन्मो का रहा हुआ हिसाब चुक्तु करने के लिए हमारे सम्बन्ध में आई है। तो अगर रिटर्न में अगर आप ने भी कुछ गलत भावना मन में रख ली या कुछ बुरा भला कह दिया या कर्मिन्द्रियों से कर दिया तो आपका हिसाब ख़तम होने की बजाए फिर से शुरू हो जाएगा। तो आप सोचे की वो आत्मा अपना हिसाब लेने आई थी और लेकर चली गयी। या अभी मेरा हिसाब उनसे चुक्तु हो रहा है।उन्होंने गलत किया तो उसकी सजा उनको मिलेगी लेकिन रिटर्न में आपने भी गलत किया तो आप भी सजा में बराबर के भागीदार हो गए न...बाकी न्यायधीश वो गॉड है सही और गलत वो जाने उन्होंने कभी नहीं कहा किसी बच्चे को की तुम गलत हो तो हम कैसे कह सकते है। वो तो सभी को प्यार ही करते है ना। क्यूकि सिद्धांत बनाया है की कर्म का फल तो मिलना ही है चाहे वह अच्छा हो या बुरा।बाकी एक विधि और भी है आप उन्हें अमृतवेले में उस शक्ति के सामने इमर्ज करे और उनसे क्षमा मांग ले और उन्हें भी क्षमा कर दे। ये अभ्यास आप सात दिन तक करे तो उनके मन में भी आपके प्रति प्रेमभाव पैदा हो जाएगा /
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