हम सभी आत्माओ को स्वयं भगवान सम्मान दे रहे हैं । सोचो, जिन्हे भगवान सम्मान देते हैं वह भला मनुष्यो से मान की कामना क्यों करे । जिस शक्ति ने यह सभी कामनाये समाप्त कर दी थी । वह ऐसी रोयल्टि में स्थित हो गये थे जिन्हे किसी से कुछ भी नहीं चाहिए था । हम भी अपने संस्कारो को बहुत रोयल बनाये और इसका आधार हैं स्वमान में स्थित रहना । अपने स्वमान को हमे जगाना हैं । हीन भावनाओ को समाप्त कर देना हैं । हम मास्टर सर्वशक्तिवान हैं । उसभगवान के नैनो के नूर हैं, विजयरत्न हैं, कल्पवृक्ष की जड़े हैं । हम बहुत बड़े हैं । हम छोटे नहीं हैं जो किसी की ओर भी प्यासी नज़रो से देखे..! दूसरो से उम्मीद वही रखते हैं जो स्वमानधारी नहीं हैं, दूसरो के आगे पिछे वही घूमते हैं जो स्वमानधारी नहीं हैं, दूसरो के चरण दास भाव से वही छूते रहते हैं कि इनसे हमे कुछ मिल जाये जिनके पास अपना स्वमान नहीं होता । तो आज हम सारा दिन बहुत अच्छा अभ्यास करेंगे, "मैं इस विश्व का आधारमूर्त और उद्धारमूर्त हूँ... कल्पवृक्ष की जड़े हूँ... मेरा संपूर्ण प्रभाव, संकल्पो का प्रभाव, स्थिति का प्रभाव, मेरे श्रेष्ठ पुण्यकर्म का प्रभाव, मेरी प्युरिटी का प्रभाव सारे कल्पवृक्ष में फ़ैलता हैं । " तो अपने को महसुस करेंगे, "मैं कल्पवृक्ष के जड़ो में स्थित हूँ..." चाहे नीचे बैठा देखे अपने को, चाहे उलटे कल्पवृक्ष की जड़ो में ऊपर बैठा देखे और संकल्प करें, "मुझें सारे कल्पवृक्ष को श्रेष्ठ वाइब्रेशन्स देने हैं । " हम कल्पवृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या कर रहे हैं । और शक्ति की किरणे हम पर पड़ रही हैं । बहुत गुड फ़िलींग करेंगे और यह शक्ति के वाइब्रेशन्स हम में समाकर पूरे कल्पवृक्ष में फैल रहे हैं । तो आओ हम पूर्वज बनकर कल्पवृक्ष की सभी आत्माओ की पालना करें । हम उनको अच्छी सकाश दे ताकि सभी अपने मनुष्य जीवन का सच्चा सुख प्राप्त कर सके । सभी अपने अंदर छिपी हुई, दबी हुई प्युरिटी को पहचान सके और इस माया के जंजाल से स्वयं को मुक्त कर सके । हमारी सकाश ही सभी में जागृती लायेगी, सभी को अपने देव स्वरुप की स्मृति दिलायेगी, सभी को उस शक्ति से जोडेगी और उनको वर्से का अधिकारी बनायेगी /