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सफल व्यक्ति बनने के 10 मन्त्र

2 जून 2016

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आप भी स्वयं को सही रूप मे समझने का प्रयत्न कीजिए, स्वयं का समुचित मूल्यांकन कीजिए और उसके बाद स्वयं को उसके अनुसार बदलने का प्रयास कीजिए। इन सब के लिए अपने मस्तिष्क को निम्न 10 प्रभावशाली तथ्यो से बारम्बार स्मरण कराते रहिए-

1. अपने को स्वीकार कीजिए- आप जो भी है, जैसे भी है, जहां भी है उसी रूप मे अपने को स्वीकार कीजिए। आप अत्यन्त प्रतिभावान है, आकर्षक है, सुयोग्य है, हंसमुख है और लोकप्रिय है। इसलिए आप स्वयं को पर्याप्त मान-सम्मान प्रदान कीजिए, स्वयं को परिपूर्णता से स्वीकार कीजिए। सर्वशक्तिमान ईश्वर आपका पिता है आपको उसका पूर्ण स्नेह प्राप्त है, आपको वह अत्यन्त ही चाहता है और सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि आप उसे पूर्णतः स्वीकार है। तो अब आपको ही स्वयं को स्वीकार करने मे क्या आपत्ति है, जबकि अनेक व्यक्तियो ने तो आपको बहुत पहले से ही स्वीकार किया हुआ है

2. अपने मे विश्वास रखिए- स्वयं मे आप सुदृढ़ विश्वास रखिए। इस श्रेष्ठ विश्वास को किसी भी परिस्थिति मे डगमगाने न दीजिए। महान् ईश्वर ने अपने समान ही महानता प्रदायक अनगिनत श्रेष्ठ उपहारो से आपको सुसज्जित करके भेजा है इन सर्वोत्तम उपहारो को, क्षमताओ को अपने भीतर सुन्दरता से सँजोए रखिए एवं अक्षुण्ण बनाये रखने का प्रयत्न कीजिए। इन समस्त उत्तम अलौकिक उपहारो का प्रभावशाली प्रदर्शन कर, अपने विशिष्ठ अस्तित्व को संसार मे आलोकित करिए।

3. अपने से श्रेष्ठ व्यवहार कीजिए- जिस प्रकार आप अन्य लोगो से उत्तम व्यवहार करने और उनसे उत्तम व्यवहार प्राप्त करने के लिए इच्छुक रहते है, उसी प्रकार का श्रेष्ठ व्यवहार अपने आप से भी कीजिए। अपने मस्तिष्क को उसी प्रकार विश्राम प्रदान करने की व्यवस्था कीजिए, जिस प्रकार आप अपने शरीर को विश्राम देते है। मस्तिष्क को प्रदान किया गया तनिक-सा यह विश्राम या कोई मनोरंजन आपके मस्तिष्क को नवीन उर्जा, नवीन उत्साह-उल्लास के साथ ही अतिरिक्त उर्जा उपलब्ध कराएगा और अपनी अतुलनीय निरन्तर सेवाएं प्रदानकर आपको अभिभूत कर देगा।

4. अपने को सदैव व्यस्त रखिए- आप अपने मस्तिष्क को हमेशा व्यस्त रखिए। शारीरिक रूप से और मानसिक रूप से कुछ-न-कुछ अवश्य करते रहिए। यदि आप शारीरिक रूप से थक जाएं तो मानसिक कार्य करके शरीर को विश्राम दीजिए और यदि मानसिक कार्य करते-करते थक जाएं तो कुछ हल्का-फुल्का शारीरिक कार्य करके मस्तिष्क को विश्राम प्रदान कीजिए। इस उक्ति का सदैव ध्यान रखिए-‘‘खाली दिमाग शैतान का घर।’’ शैतान को अपने मस्तिष्क मे घर बनाने का प्रयास न करने दीजिए अन्यथा यह शैतान आपके मस्तिष्क मे सदैव उपद्रव ही करता रहेगा; और आपकी नींद हराम कर देगा। अतः आप सदैव कुछ-न-कुछ करते ही रहिए और अपने को व्यस्त रखिए।

5. अपने को सदैव प्रसन्न रखिए- अपने मस्तिष्क को सदैव आनन्द उत्सव मनाने का अवसर प्रदान करते रहिए, तभी तो वह भी आपके जीवन मे प्रसन्नता के मोती बिखेरेगा और आप अपने कार्यों को सुचारू रूप से सम्पन्न करने मे सफल होगे मन के अप्रसन्न होने पर किसी भी कार्य मे अपना मन लगाना व्यक्ति के लिए दुष्कर होता है और अप्रसन्न मन की स्थिति मे किसी भी कार्य मे हाथ डालने का प्रयास करने पर उसमे त्रुटियां होने की पूर्ण सम्भावना बनी रहती है जबकि इसके विपरीत प्रसन्न और प्रफुल्ल मन समस्त कार्यों को सम्पन्न करने हेतु आपके उत्साह मे वृद्धि करके आपकी सफलता की कहानी का एक नवीन पृष्ठ रच देता है

इसलिए यह आवश्यक है कि आप सदैव स्वयं को प्रफुल्लित रखिए। जहां तक सम्भव हो अपनी प्रसन्नताओ को अन्य लोगो के बीच बांटने का प्रयत्न भी करते रहिए और दूसरो के दुख-दर्द मे भागीदार बनने का भी प्रयत्न कीजिए। इस प्रकार आप अपनी प्रसन्नता मे भी कई गुणा वृद्धि करने मे भी सफल रहते है

6. अपने मे अनुराग रखिए- स्वयं से अनुराग रखना भी आपके लिए अति आवश्यक है जब आप ही स्वयं से प्रेम नहीं करेगे तो अन्य लोग आपको प्रेम करने के लिए कैसे उद्यत होगे अपने से अनुराग रखने का तात्पर्य है अपनी स्थिति के प्रति पूर्णतः आश्वस्त होना। यह विश्वास रखना कि अपनी इस स्थिति मे ही रहते हुए मुझे अपना लक्ष्य प्राप्त करना है इसलिए पूरी शक्ति से स्वयं के प्रति अपनी चाहत का विकास-वृद्धि कीजिए। अपने विलक्षण अस्तित्व के प्रति अनुराग रखिए, उससे पर्याप्त प्रेम कीजिए तभी अन्य लोग आपकी ओर आकर्षित होगे और आपके सफलता अभियान मे अपना समुचित योगदान देने के लिए आगे आएंगे

7. अपने को चिन्ता-मुक्त बनाइए- चिन्ताओ को स्वयं से दूर रखने का आप तुरन्त कारगर उपाय कीजिए। ये दुश्चिन्ताएं आपके अस्तित्व को कोई हानि पहुंचाएं, आपकी कल्पना शक्ति को नष्ट करने का कोई प्रयास करे; उससे पूर्व ही आप इन चिन्ताओ की चिता सजाने का प्रयत्न कीजिए। न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी’-जब दुश्चिन्ता ही नहीं रहेगी तो फिर कौन हानि पहुंचा सकता है आपको इससे मुक्ति पाने मे विलम्ब करना स्वयं अपने पैरो पर कुल्हाड़ी मारना हैइसलिए मस्तिष्क मे उपजी किसी भी दुश्चिन्ता का उपचार करने मे अति शीघ्र जुट जाइए।

8. अपनी भूलो को भूलिए- भूतकाल मे हुई स्वयं की गलतियो को, चूको को भूलने का यथासम्भव प्रयत्न कीजिए; जो हो गया सो हो गया, उसकी क्यो व्यर्थ चिन्ता करना, भूत का क्या पश्चाताप करते रहना, उसके लिये हर समय क्या रोना ? बीते हुए समय के दुःखद क्षणो को, अप्रिय प्रसंगो को, विगत दुःस्वप्नो को भूलने का सार्थक प्रयास कीजिए और केवल भविष्य की सुनहरी किरणो मे सराबोर होने का प्रयत्न कीजिए। भूतकाल की इन भूल-चूको को स्मरणकर अपनी शारीरिक एवं कल्पनाशील क्षमताओ को कुंठित करने का प्रयास न कीजिए। विगत की गलतियो को बार-बार याद करने की अपेक्षा उन गलतियो से सबक सीखने का यत्न कीजिए और भविष्य मे वैसी ही गलतियां दोहराने की भूल मत कीजिए। वर्तमान को सुन्दरतम बनाइए और उसी मे पूर्णता से जीने का प्रयत्न कीजिए। खुशियो की तूलिका उठाइए और अपने जीवन को सफलता-उल्लास के इन्द्रधनुषी रंग प्रदान करने मे जुट जाइए।

9. अपने सौभाग्य को आमन्त्रित कीजिए- अपने मस्तिष्क मे सौभाग्यशाली विचारधारा की बारात सजाइए और इस सौभाग्यशाली विचारधारा की बारात मे दूल्हा बना मस्तिष्क को हर प्रकार से रिझाइए ताकि यह दूल्हा सुगमता से अत्यन्त सुन्दर आपकी सफलता रूपी दुल्हन को रिझा सके ध्यान रखिए, सौभाग्यशाली विचारधारा ही आपके सौभाग्य को बलपूर्वक आकर्षित करती है

10. अपने ईश्वर के प्रति श्रद्धा रखिए- ईश्वर मे अपका दृढ़ विश्वास आपकी समस्त बाधाओ को नष्ट करने मे अविश्वसनीय रूप से समर्थ है इसलिए ईश्वर के प्रति अपने दृढ़ विश्वास को किसी भी स्थिति मे कमजोर न होने दीजिए। यह अखण्ड, दृढ़ विश्वास ही आपकी मंजिल को आपको निकट खींच लायेगा और अवश्य ही खींच लायेगा जब आप महान् साहित्यकार एच. डब्ल्यू. लोगफैलो के इन शब्दो पर भी मनन करने का सार्थक प्रयत्न करेगे-‘‘महान् व्यक्तियो को जो श्रेष्ठ प्रतिष्ठा प्राप्त हुई, वह इन महापुरुषो को अनायास एक ही प्रयास मे प्रयास मे प्राप्त नहीं हुई। जब उनके अन्य साथी सोए पडे थे, तब वे एकाग्रचित्त, शान्ति से आत्मोत्थान की दिशा मे प्रयत्नशील थे इस प्रकार वे

Shishupal

Shishupal

धन्यवाद श्रीमान जी

7 जून 2016

रवि कुमार

रवि कुमार

बहुत बढ़िया बात लिखी है भाई जी , शुक्रिया .

3 जून 2016

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रचनाएँ
sphappinesworld
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देखिए आपको लगता है उसने गलत किया लेकिन अगर हम उनसे पूछे तो वो भी कहेंगे की नहीं मैंने सही किया अगर उन्हें लगता की ये गलत है तो वो करते ही ना।आपको कर्मो की गहन गति के बारे में भी सोचना चाहिए। क्योंकि जो भी आत्मा हमारे सम्बन्ध में आ रही है तो वो अपना पीछे के जन्मो का रहा हुआ हिसाब चुक्तु करने के लिए हमारे सम्बन्ध में आई है। तो अगर रिटर्न में अगर आप ने भी कुछ गलत भावना मन में रख ली या कुछ बुरा भला कह दिया या कर्मिन्द्रियों से कर दिया तो आपका हिसाब ख़तम होने की बजाए फिर से शुरू हो जाएगा। तो आप सोचे की वो आत्मा अपना हिसाब लेने आई थी और लेकर चली गयी। या अभी मेरा हिसाब उनसे चुक्तु हो रहा है।उन्होंने गलत किया तो उसकी सजा उनको मिलेगी लेकिन रिटर्न में आपने भी गलत किया तो आप भी सजा में बराबर के भागीदार हो गए न...बाकी न्यायधीश वो गॉड है सही और गलत वो जाने उन्होंने कभी नहीं कहा किसी बच्चे को की तुम गलत हो तो हम कैसे कह सकते है। वो तो सभी को प्यार ही करते है ना। क्यूकि सिद्धांत बनाया है की कर्म का फल तो मिलना ही है चाहे वह अच्छा हो या बुरा।बाकी एक विधि और भी है आप उन्हें अमृतवेले में उस शक्ति के सामने इमर्ज करे और उनसे क्षमा मांग ले और उन्हें भी क्षमा कर दे। ये अभ्यास आप सात दिन तक करे तो उनके मन में भी आपके प्रति प्रेमभाव पैदा हो जाएगा /
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बलिष्ठ आत्मा

28 मई 2016
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हम सभी आत्माओ को स्वयं भगवान सम्मान दे रहे हैं । सोचो, जिन्हे भगवान सम्मान देते हैं वह भला मनुष्यो से मान की कामना क्यों करे । जिस शक्ति ने यह सभी कामनाये समाप्त कर दी थी । वह ऐसी रोयल्टि में स्थित हो गये थे जिन्हे किसी से कुछ भी नहीं चाहिए था । हम भी अपने संस्कारो को बहुत रोयल बनाये और इसका आधार है

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सफल व्यक्ति बनने के 10 मन्त्र

2 जून 2016
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आप भीस्वयं को सही रूप मे समझने का प्रयत्न कीजिए, स्वयंका समुचित मूल्यांकन कीजिए और उसके बाद स्वयं को उसके अनुसार बदलने का प्रयासकीजिए। इन सब के लिए अपने मस्तिष्क को निम्न 10 प्रभावशालीतथ्यो से बारम्बार स्मरण कराते रहिए-1. अपने को स्वीकार कीजिए- आप जोभी है, जैसेभी है, जहांभी है उसी रूप मे अपने को स्व

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जीवन मे सफलता प्राप्‍त करने के लिए या लोकप्रिय बने रहने के लिए हैं।

3 जून 2016
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जीवन मे हम प्रतिक्षण नवीन अनुभव प्राप्‍त करते हैं और हमें प्रतिक्षण कई लोगो से मिलना होता है, अत: जीवन मे सफलता प्राप्‍त करने के लिए या लोकप्रिय बने रहने के लिए हैं।<!--[if !supportLists]-->1.     <!--[endif]-->हमेशा मुस्कराते रहिए। प्रसन्‍नता व मुस्कराहट बिखेरने वाले लोगो के सैकडो मित्र होते है। को

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व्यक्तित्व का विकास

7 जून 2016
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आत्मैवह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः।।आप ही अपना उद्धार करना होगा। सब कोई अपने आपको उबारे। सभी विषयोंमें स्वाधीनता, यानी मुक्ति की ओर अग्रसर होना ही पुरुषार्थ है।जिससे और लोग दैहिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वाधीनता की ओरअग्रसर हो सकें, उसमें सहायता देना और स्वयं भी उसी तरफबढ़ना ही परम पुरुषार्थ है

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क्या भगवान है

9 जून 2016
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कई लोग अज्ञानता वमान-गुमान वश प्रश्न करते हैं कि क्या भगवान का अस्तित्व है ? यदि है तो भगवान को किसने बनाया ? भगवान हैं तो कहाँहैं ? भगवान हैं तो दिखते क्यों नहीं ? दिखते नहीं इसका मतलब तो यही होना चाहिए कि भगवान हैं ही नहीं । आदि ।पिछले लेखों में हमबता चुके है कि हर चीज को बनाने वाला कोई न कोई होता

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व्यवहार की कुशलता के गुप्त रहस्य

14 जुलाई 2016
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गुप्त रहस्य छिपाये रखिएन दूसरों से इतने खुल जाइये कि दूसरों को आपमें कुछ आकर्षण ही नहीं रहे, न इतने दूर ही रहिये कि लोग आपको मिथ्या अभिमानी या घमंडी समझें। मध्य मार्ग उचित है। दूसरों के यहाँ जाइये, मिलिए किन्तु अपनी गुप्त बातें अपने तक ही सीमित रखिए। “आपके पास बहुत सी उपयोगी मंत्रणायें, गुप्त भेद, ज

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