कभी कभी खुद को दोहराते रहना चाहिए, लिख कर, गा कर, हस कर, मुसकीया कर, बतिया कर और भी बहुत कुछ कर..
अपने अंदर की गहराई को देखना जैसे अंतरिक्ष में अनन्त से मुलाकात की तरह....तुझसे हुई बात की तरह.. दोस्तों के साथ बिती सिगरेटी कस और ह्विस्की वाली रात कि तरह...
बहुत पहले गए गांव के अहसास कि तरह.. खर्च कि गए पैसे की हिसाब कि तरह.. हसते खेलते बचपन की याद कि तरह...
ऐसा लगता है मेरे भीतर उतर कर कोई बात कर रहा हो.. वो मुझे सुन रहा हो, मै उसे.. वो मुझे कह रहा हो, मै उसे..वो मुझे समझ रहा हो, मै उसे.. वो मुझे लिख रहा हो, मै उसे..
एसा लगता है अपने अंदर एक डाकखाना (heart letter box) है, उसमे चिट्ठियां अनन्त कि तरह जिसे पढ पाना मुश्किल.. बस महसूस करने का तिलिस्मी हुनर हर चिट्ठियों को.. चिट्ठी के शब्दों में खो जाना..चिठ्ठी के रंगों को पहचानना और कोई खास सबसे अहम की रंगीन कागज पर लिखी चिट्ठी पढ कर मुसकियाना... उसके हर लफ्ज में बिते दिन की तरह खो जाना..
लिखने वाले को याद कर उदास हो जाना.. क्या वजह होगी, चिट्ठी है और तुम नहीं.. उसपे फिजूली गुस्सा दिखाना.. फिर खुद को समझाना..चिट्ठियां हैं न, वो ना सही.. फिर उसकी चिट्ठी को दिल के लेटर बाक्स मे महफूज रख सो जाना... कभी कभी खुद को दोहराते रहना चाहिए.. यादें जानलेवा कम इश्क़ी ज्यादा होती हैं.. हो गया न इश्क़ फिर से..पहली मुलाकात की तरह हमेशा के लिए रंगीन चिट्ठी से... अब झुठ बोलना बंद भी करो बे...
सुनो रे... हमको तुमसे कोई बात नहीं करनी, बातों से भरम टूट जाता है..
कसम से..
और भी बाकी है
#kagajiishaQ
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