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Kapil Sharma के बारे में

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पुरस्कार और सम्मान

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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-01-06
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2021-12-20

Kapil Sharma की पुस्तकें

A word come from heart.

A word come from heart.

1.ये इश्क़ नहीं हैं तो फिर क्या हैं! बिन कहें  आँखें सब कुछ बया कर जाती  बिन कहें दिल की बात उस तक पहुँच जाती  ये इश्क़ नहीं हैं, तो फिर क्या हैं। जब बातें दिल से ज्वाला की तरह निकालती  और जुबान से अधरों के ताल-मेल को  बिगाड़ देती  कहना कुछ चाहए और

निःशुल्क

A word come from heart.

A word come from heart.

1.ये इश्क़ नहीं हैं तो फिर क्या हैं! बिन कहें  आँखें सब कुछ बया कर जाती  बिन कहें दिल की बात उस तक पहुँच जाती  ये इश्क़ नहीं हैं, तो फिर क्या हैं। जब बातें दिल से ज्वाला की तरह निकालती  और जुबान से अधरों के ताल-मेल को  बिगाड़ देती  कहना कुछ चाहए और

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Kapil Sharma के लेख

जब मन होता हैं!

15 जून 2022
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जब मन होता हैं, तो ना जाने क्या क्या लिख देता हूॅं। भोर की पीली किरण को चांद की चादनी में बदल देता हूॅं। मन की दशा को प्रकृति के साथ मिलाकर उजागर कर देता हूॅं। ना जाने कि

खबर हैं, आज आसमान में!

28 मई 2022
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खबर हैं, आज आसमान में धरा पर कोई प्यासा बैठा पुकार रहा हैं। जमघट लगा हुआ हैं, बादलों का अपनी गर्जना, तड़ित प्रकाशितस्वर से अपनी भूमिका दिखा रहा हैं।दिन पूरा कर दिया कलाधूल भरी हवाओ

अभी कहॉं अभी तो बहुत कुछ बाकि हैं।

23 मई 2022
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जो तुम आराम से बैठ गए हो सफर अब बाकि हैं।अभी तो एक ही ऊंचाई देखी हैं, तूमनेअभी तो आसख्य ऊंचाई और उससेगिरना फिर से उठना बाकि हैं।अभी कहॉं अभी तो बहुत कुछ बाकि हैं।अभी तो एक सुंदर गीत ल

कहाँ हमें जीने देगी!

8 फरवरी 2022
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पागलों-सा एहसास इस अकेलेपन की बरसात रागिनी में तेरी मौजूदगी का ख्वाब हिलते डुलते सूखे पतों की बात सुलगते अंगारों में मय की बोछार ये सभी चीजें कहाँ हमें जीने देगी। हर लेखक के लेख में तेरा

ये रात मुझे बहुत कुछ सीखा कर चली गई।

9 जनवरी 2022
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ये रात मुझे बहुत कुछ सीखा कर चली गई।हर दर्द को बार-बार जीनाएक किनारे पर बैठ करजलते बुझते लाइटों को देखना।सर्दी के पाले में भी बहुत शांत चित बैठना।मन में मचलती हुई उथल पुथल कोइस फैलती गहरी रात को सुनना

आज बूंदे तो गिर रही हैं।

6 जनवरी 2022
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<div><br></div><div><p dir="auto" style="margin: 0px; padding: 0px; min-height: 1em; color: rgb(0, 0, 0); font-family: Roboto, monospace; font-size: 18px; font-variant-ligatures: none;">आज बूंदे तो गि

आज बूंदे तो गिर रही हैं।

6 जनवरी 2022
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आज बूंदे तो गिर रही हैं, पर वोमहसूस नहीं हो रही हैं।जिस्म भीग तो रहा हैं, पर फिर भीरूह खुश्क-सी हो रही हैं।तड़ित गर्जना हो तो रही हैं,9 मेघ मेंसमीर का बहाव भी हैं, भरपूर वेग से, परविचारों में शून

निश्चित हैं!

1 जनवरी 2022
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<div><br></div><div><p dir="auto" style="margin: 0px; padding: 0px; min-height: 1em;">हर रात के बाद <br>सूर्य का प्रकाश निकालना<br>निश्चित हैं।<br>अंधकार की नगरी में<br>ज्ञान के दीपक से<br>बुद्धि

इस टूटे मन की व्यथा को  कौन समझ सकेगा। 

20 दिसम्बर 2021
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<p dir="auto">इस टूटे मन की व्यथा को </p> <p dir="auto">कौन समझ सकेगा। </p> <p dir="auto">

क्या लिखू अब जब तुमको सब एक मज़ाक - सा लगता हैं।

12 दिसम्बर 2021
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क्या लिखू अब <div>जब तुमको सब एक मज़ाक - सा लगता हैं।</div><div>हर शब्द निकलता तो हैं, पर क्या<

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