हरिगीतिका छन्द,2212 2212 2, 212 2212हे! मात! नत मस्तक नमन नित,वन्दना कात्यायनी।अवसाद सारे नष्ट कर हे, मात! मोक्ष प्रदायनी।हे! सौम्य रूपा चन्द्र वदनी, रक्त पट माँ धरिणी।हे! शक्तिशाली नंदिनी माँ, सिंह प्रिय नित वाहिनी।माथे मुकुट है स्वर्ण का शुभ, पुष्प कर में धारिणी।हे! मात!नत मस्तक नमन नित,वन्दना कात
षष्ठंकात्यायनी नवदुर्गा– छठा नवरात्र – देवी के कात्यायनी रूप की उपासनाविद्यासु शास्त्रेषु विवेकदीपेषुवाद्येषु वाक्येषु च का त्वदन्या |ममत्वगर्तेSतिमहान्धकारे,विभ्रामत्येतदतीव विश्वम् ||षष्ठी तिथि –छठा नवरात्र – समर्पित है कात्यायनी देवी की उपासना के निमित्त | देवी के इस रूपमें भी इनके चार हाथ माने ज