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खिलखिला

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क्यों बढ़ रही दिलों में दूरियां,क्या हो गई ऐसी मजबूरियां ।क्यों दिलों की बात कोई सुनता नहीं,क्यों स्वार्थ बन रहा कमजोरियां।भावनाओं को यूं दिल में दफन न करो,दिल की आवाज यूं अनसुनी न करो।यूं अकेले सफर कट सकता नहीं,अकेले रहने का यूं दिखावा न करो।दिल मुरझा गया तो कैसे जी पाओगे,जिंदगी का बोझ न इसतरह ढो प

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