“ खोज”
{The Search}
“सिमरन, कुछ परेशान सी लग रही थी, वह कभी अपनी किताब में कुछ ढूंढती, कभी वह सिहर के ठहर जाती, तभी उनकी दो बेस्ट फ्रेंड राधिका ओर नितिं कमरे में प्रवेश करती है,”
“हाय, सिमरन, नीति ने हाथ हिलाते हुए कहा
हाय, सिमरन ने भी अपनी सहमति देते हुए, अपनी मुस्कान से हामी भरी।
(सिमरन, एक इंजिनीरिंग कॉलेज की छात्रा थी, वह दूसरी लड़कियों स्व बिल्कुल अलग थी, वह तो हमेशा किताबो,कॉलेज, ओर अपने प्रोजेक्ट , लेक्चर ,assigement बीच मे रहती, बहुत ही बिजी शेडयूल्ड ,था, उसे पता नही था, की उसकी क्या करनाहै और ओर किस ओर जाना है)
वह तो सिर्फ पढ़ाई और सिर्फ पढ़ाई में खोई रहती, सुबह उठकर फ्रेश होकर कॉलेज जाना और सभी लैक्चर अटेंड करना और घर आकर लंच करकर फिर 3 बजे कोचिंग जाना, फिर वह घटा आकर फिर किताबो के बीच को जाना,
नीति: अरे , यार सिमरन जब देखो तुम किताबो में घुसी रहती हो, तू तो पहले से ही इतनी इंटेलिजेंट है हमेशा तू फर्स्ट डिवीज़न से पास होती है और एक हम है कि पास होने के लिए बडी मेहनत करते है।
सिमरन -एक बात कहु, तोड़ा बहुत जिंदगी में जस्ट चील कर लिया कर।
मतलब रेस्ट ले लिया कर। तू इतनी पढ़ाई करेगी तो पागल हो जाएगी।
सिमरन: क्या मतलब तेरा।
नीति: मतलब , ये की किताबो की दुनिया से बाहर निकल कर थोड़ी मौज मस्ती की जाए।
“कॉफी, शॉप चले”
नही, नीति मुझे यह Assigement पूरे करने है ।
तभी बीच मे राधिका बोल पड़ी।
“ अरे , यार नीति में तो पहले से ही कह रही थी,वह तो किताबी कीडा है उसे बाहर की दुनिया से कोई सरोकार नही है,”
सिमरन : नही यार ऐसी बात नही है पापा,मम्मी को मुझसे बड़ी उम्मीद है कि इंजीनियरिंग करने के बाद IT करके एब्रॉड जाऊ,
(राधिका ओर नीति ने उसे समझाया कि इतना स्ट्रैस मत लिया कर लेकिन शायद उसे समझ नही आया,या समझना नही चाहती)
घर पर
“सुनती हो, सिमरन की माँ
“सिमरन की माँ किचन से बाहर आकर बोली” हा कहिए।
सिमरन के पिता: हमारी सिमरन इस बार भी फर्स्ट सेमिंस्टर में 98 प्रतिशत मार्क्स आये है। ओर एक बात ओर एकं बड़ी कंपनी से हमारी बेटी को बीस लाख के पैकेज ऑफर आया है , बस उसकी इस साल फर्स्ट आ जाये। फिर। अमेरिका में सेटेल हो जाएगी हमारी सिमरन ।
लेकिन एक बात बताओ वह है कहा
सिमरन की माँ: अपने कमरे में पढ़ाई कर रही है।
(परिवार में सब खुश थे कि सिमरन को एक बड़ी कंपनी से आफर आया है लेकिन दूसरी ओर सब इस बात से बेखबर थे कि सिमरन की जिंदगी में क्या चल रहा था या सब किसी ने जानने की कोशिश नही की)
अगले दिन
“बेटा सिमरन, आज तुझे कॉलेज की फीस भरनी है ,जल्दी कॉलेज जाकर जल्दी से फीस भर देना
सिमरन ,तैयार होकर कॉलेज के लिए रवाना हो गई ,
उसी दिन शाम को
रात के 8 बज गए, तभी सिमरन के पापा ऑफिस से आते ही सिमरन को पूछ बैठे “ अरे , बागवान, सिमरन कही दिखाई नही नही दे रही, क्या वह कोचिंग से अभी तक नही आई क्या।
तभी सिमरन की माँ रसोई आए बाहर आई, ओर बोली “ मुझे तो बड़ी घबराहट हो रही है वो तो 6 बजे तक आ जाती है और उसका मोबाइल फोन भी बंद आ रहा है।
“ गयी होगी अपनी सहेली के पास क्योंकि वह ज्यादा ग्रुप स्टडी करने को कह रही थीं, तू चिंता मत कर आ जायेगी,”
(रात के दस बज गए थे लेकिन सिमरन का कोई पता नही था)
“सुनो, मुझे बड़ी चिन्ता हो रही है आज पुलिस स्टेशन जाओ और रिपोर्ट लिखवाओ” सिमरन की माँ बहूत चिंता के साथ बोली।
“ठीक है में अभी जाता हूं।
पुलिस स्टेशन
“साहब, साहब मेरी बेटी आज सुबह से नही मिल रही वह पढ़ने के लिए कॉलेज गयी थी, अभी तक घर नही आई ,उनका फ़ोन भी बंद आ रहा है ओर सिमरन की यह चिट्टी उसके कमरे में मिली है
पुलिस इंस्पेक्टर -देखिये सर्, वैसे तो 24 घण्टे से पहले हम FIR नही लिख सकते लेकिन फिर भी आप अपने बेटी की एक फोटो ओर मोबाइल नंबर लिखवा दो, जिससे हम कार्यवाई शुरू कर सके।
ओर हा आप लोग भी आपने रिस्तेदार, उसके दोस्त, ओर सभी लोगो से पूछो की क्या पता उन सबको कुछ पता हो कि वह वहां कही गयी हो।
“ठीक है साहब,? यह कहकर सिमरन के पिता थाने से बाहर आ गए।
(सिमरन की फ़ोटो ओर मोबाइल नंबर देकर उसके पिता घर की तरफ निकल पड़े।
घर पर
सिमरन के पिता घर पर आते ही पत्नी ने पूछा” क्या हुआ कुछ पता चला सिमरन का।
“ पुलिस ने सिमरन की फ़ोटो ओर मोबाइल नंबर ले लिया, ओर कहा कि हम जल्द से जल्द कार्यवाही करते है”
यह सुनकर सिमरन की माँ फूटफूट कर रोने लगी ।
“कहा होगी, मेरी बेटी किस हाल में होगी यही सोच सोच के घबरा जाती
घर का पूरा महौल जैसे मातम सा छा गया।
तभी फ़ोन की घंटी बजी
पुलिस स्टेशन से- हेलो, सर् में करोल बाग थाने (दिल्ली)से शिंदे बोल रहा हु,
आपसे कुछ इन्कारी चाइये
“जी, कहिए ,साहब” सिमरन के पिता ने कहा।
क्या आपकी बेटी का किसी बॉयफ़्रेंड का चक्कर तो नही,
नही साहब मेरी बेटी का पूरा फोकस केवल पढ़ाई पर था उसका कोई बॉयफ़्रेंड नही है वह तो बहुत अच्छी लड़की है और अपने भाविष्य को लेकर बहुत चिन्तित थी उसके जीवन में यह सब केलिये समय ही नही है।
इंस्पेक्टर: आपकी लड़की घर से बिना बताये चली गयी और एक चिट्ठी छोड़कर गयी जिसमे उसने कहा कि वह अपनी मर्जी से जा रही हु मुझे ढूंढने की कोशिश मत करना, में कहा जा रही हु क्यो जा रही हु मुझे नही पता। क्या वह आपसे या घर से परेशान थी,
सिमरन के पिता-नहीं साहब, नही मेरी वह मेरी इकलौती बेटी है और हम सब उसे बहुत प्यार करते है
इन्स्पेक्टर:ठीक है, आगे कुछ सूचना मिलेगी आपको पहुचा दी जाएगी।
(यह कहकर इंस्पेक्टर फ़ोन को रख देता है।)
पुलिस टीम ने अपनी छानबीन को तेज कर दिया जिसमें उसकी कॉल डिटेल को खंगाला जिसमे उन्हें कोई भी लीड नही मिली, फिर टीम में सिमरन के बैंक डिटेल में देखा कि कल रात उसके एकाउंट से ट्रांसजेक्शन हुए है उसने ATM डेबिट कार्ड से कोई 5000 रुपए विथडरॉल किया था।
अब पुलिस की अपनी हरकत में आ गयी और पता लगाया कि वह ट्रांसजेक्शन कहा और कितने बजे किया
सिमरन का उस ATM सीसीटीवी की फूटेज से पता चला कि वह भोपाल के शीशगंज एरिया की थी,
पुलिस के स्पेशल टीम भोपाल के लिए रवाना हों गई।
पुलिस ने अपनी इन्वेस्टिगेशन में जल्द ही उसे गर्ल होस्टल से खोज लिया।
करोल बाग थाने (दिल्ली)
(टीम ने जल्द ही इसकी इत्तला सिमरन के मा बाप को दी) वह अब थाने में पहुच गए।
थोड़ी ही देर में….
“ कहा चली गयी थी बेटी, ओर क्यो जाने कितने सवाल उनके मन मे उलझ रहे थे तभी सीनियर इंस्पेक्टर कमरे में आये।और अपनी सीट पर बैठते हुए बोले-आपकी बेटी , सही सलामत मिल गयी है ,आप उसे घर ले जा सकते लेकिन इससे पहले में कुछ सवाल आपकी बेटी सिमरन से पूछना चाहता हु।
इंस्पेक्टर: देखो सिमरन, मुझे नही पता कि तुम किसी को भी बिना यू घर से क्यो चली गयी तुम्हारे मम्मी पापा कितने परेशान हो गए थे, आखिर ऐसी कौन आई वजह है , जिसकी वजह से तुम घर से भागी।
सिमरन थोड़ी देर सहमी ओर ख़ामोश रही,
“देखो, तुम्हें कोई कुछ कहेगा, बिश्वास करो इन्सपैक्टर ने कहा।
सिमरन: मुझे नही पता में घर से क्यो भागी, मुझे नही पता कि जिंदगी क्या होती है , मुझे तो इतना पता है मेरी का सारा शेड्यूल पहले से तय है पहले कॉलेज फिर इंजीनियरिंग फिर बड़ी कंपनी में बड़े पेआउट पर नौकरी, मुझे नही पता कि ख़ुशी, मौज, मस्ती ओर दोस्त क्या होती है।
में भी नार्मल जिंदगी जीना चाहती थी। आम लोगो की तरह रहना चाहती थी इस एक महीने में मैने वो सब महसूस किया जिसकी मुझे तलाश थी, वो खुशी जिसको में महसूस करना चाहती थी।कहती हुए वह फुट फुट कर रोने लगी।
इंस्पेक्टर: देखो बेटा, मेरी भी आप की तरह ही बेटी है इसका यह मतलब नही की हम अपनी आजादी के लिए ऊनो को दुख पहुचाये ,
तुम्हे अपनी परेशानी मम्मी पापा से बॉटनी चाहियें थी, वो तुम्हारे अपने है तुम्हे जरूर समझते, लेकिन तुमने ऐसा नही किया ।
“ बहुत बहुत धन्यवाद इंस्पेक्टर साहब, मूझे यह सब पता था।
“मुझे माफ़ कर दो बेटी”
नही पापा आप ऐसा मत बोलो।
यह कहकर सिमरन आपने पापा से रोते हुए लिपट कर रोने लगी।
©®सर्वाधिक सुरशित है।
परिवेश पालिवाल
9 फरवरी,2022