बहुत तू ख्वाहिशे न पाल, कि यह ख्वाहिशे, बहुत रुलाती हैं ,
यह जितनी बढ़ती जाती हैं, साथ अपने, ग़म उतने लाती हैं,
गर जीना चाहता है सकूँ से दोस्त तो ले बस सब्र करना सीख,
वरना तेरे अरमानो की बस्ती यंहा पल भर में खाक हो जाती हैं,
बस जान ले, हर एक को हर चीज़ यंहा कभी हासिल नहीं होती ,
जो यह फर्क जल्दी समझ जाते है उन्हें ज़िंदगी सर पे बिठाती हैं,
गर तो अब भी नहीं समझा मेरे दोस्त तो बड़ी तकलीफ झेलेगा,
क़ि उन ऊँचे हसीं ख्वाबो की दुनिआ हमें यूँ अक्सर बर्गलाती हैं,
बस ईमान कि रस्ते पे चल तू खुद, इक नया मुकाम हासिल कर,
सहारे दूसरों के जो रह जाएँ तो यह ज़िंदगी बस फिर लडखडाती हैं!