ख्वाइशें
बहुत तू ख्वाहिशे न पाल, कि यह ख्वाहिशे, बहुत रुलाती हैं ,
यह जितनी बढ़ती जाती हैं, साथ अपने, ग़म उतने लाती हैं,
गर जीना चाहता है सकूँ से दोस्त तो ले बस सब्र करना सीख,
वरना तेरे अरमानो की बस्ती यंहा पल भर में खाक हो जाती हैं,
बस जान ले, हर एक को हर चीज़ यंहा कभी हासिल नहीं होती ,
जो यह फर्क जल्द