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ख़्वाहिश

8 सितम्बर 2021

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सड़क पर चलते हुए जब हम गाड़ियों की तरफ़ चलते थे तो ये सोचते थे कि तुम्हे कुछ हो गया तो हम कहाँ जायँगे,

पर कभी ये ना सोचा कि अगर मुझे कुछ हो गया तो तुम कहाँ जाओगी,

रोज रात को सोने से पहले तुम्हरा चेहरा देख कर सोता था कि आज नींद अच्छी आएगी,

कभी ये ना सोच की तुम्हे शायद मेरे चेहरा न देखने को मिलेगा तो तुम्हारी नींद का क्या होगा,

वो आख़िरी बार तुम्हे गले लगाना याद है,

जब तुम हमें छोड़ कर अलग न होना चाहती थी मगर किसी के आ जाने के डर से हम अलग हो गए,

"क्या किसी के आने के डर से हम अलग हुए थे,

या किसी के आ जाने से हम अलग हुए थे,"

ये सवाल बहुत दिनों तक चुभता रहा,

मगर अफ़सोस की इस सवाल का जवाब न मिला आज तक,

सुनो न! तुम कहती थी  न कि मेरे बाद किसी का हाथ थाम लेना,

देखो मैंने उदासी और तन्हाई दोनो का हाथ थाम लिया,

और पता है पहले तो हमने बस उनका हाथ थामा था पर अब वो दोनों भी मेरा हाथ थाम चुकीं हैं,

अब हमसे एक पल को न तो उदासी दूर होती हैं और न ही तन्हाई,

नए शहर में नए हमसफ़र के साथ जिंदगी शुरू करना बहुत आसान होता है सबके लिए

लेक़िन उसी पुराने शहर में रह कर उसी पुराने हमसफ़र के साथ बची हुई जिंदगी क्यूँ नही जी लेते लोग ?

सुनो ना!

आख़िरी बार तुम्हें फिर से गले लगाना चाहता हूँ!

आख़िरी बार तुम्हारे माथे को चूमना चाहता हूँ!

आख़िरी बार सड़क के गाड़ियों वाली तरफ चलना चाहता हूँ!

आख़िरी बार तुम्हारी गोद में सर रखकर सोना चाहता

हूँ!

आख़िरी बार तुम्हें महसूस करना चाहता हूँ,

बस आख़िरी बार!

बस आख़िरी बार!

बस आख़िरी बार!

तुम   आओगी ना!

©अंश प्रताप सिंह "ग़ाफ़िल"

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Shivansh Shukla

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शानदार आदरणीय 👌👌👌🙏🙏🙏

8 सितम्बर 2021

Ansh pratap singh ghafil

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8 सितम्बर 2021

बहुत बहुत शुक्रिया प्यारे भाई

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