ए खुदा ये तेरी कैसी खुदाई है,
ना जाने कौन से कर्मों की सजा हमने पाई है,
तड़प उठा है दिल,
कांप उठी है रूह,
के तड़प उठा है दिल,
कांप उठी है रूह,
जब देखा की मां के कंधे पर
बेटे की अर्थी आई है,
मां के कंधे पर बेटे की अर्थी आई है,
कही बाप के कंधे पर बेटा,
तो बेटे के कंधे पर बाप है
डूब गया हु महामारी के इस दौर में,
दुख में इस कदर,
लगने लगा है,
मनुष्यता में जन्म लेना ही सबसे बड़ा पाप है,
असल में ये महामारी नही मानवता को मिला सबसे बड़ा श्राप है।
।(लेखक - संकेत भारद्वाज)