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" कृष्ण जन्माष्टमी और कान्हा "

5 सितम्बर 2015

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featured imageमेरे सभी पाठकों को और पुरे भारतवर्ष को जन्माष्टमी की अनेकानेक बधाइयाँ और शुभेक्षाएं ..और दुनिया के सभी देशों में बसे सभी भाई बहनों को भी जन्माष्टमी की अनेकानेक हार्दिक बधाइयाँ .... कृष्ण का नाम आते ही मन में एक छबि बन जाती है एक महान योध्धा की , प्यारे से यशोदाके लाल की, एक सच्चे मित्र की और एक सच्चे प्रेमी की राधा प्रिय श्याम सुन्दर की और भक्तवत्सल भगवन की कौन सा गुण है जो हमारे कान्हा में नहीं है इसलिए तो उन्हें पूर्ण पुरुषोतम कहा गया है न ? आज एइसे कान्हा के जन्म दिवस पर मन करता है की लिखते ही जाएँ लिखते ही जाय जितना लिखे उतना कम है क्यूंकि कान्हा हैं ही इतने प्यारे नन्द के दुलारे ,नन्द के दुलारे शब्द से एक कान्हा के जन्मोत्सव के समय का आनंद याद आता है जब हम नंदोत्सव मनाते है तब और जब कान्हा का जनम होता है मंदिरों में तब सब मिल बोलते हैं .,नन्द घेर आनंद भयो ,"जय कन्हैया लाल की ,हाथी दीन्हो घोडा दीन्हो और दीन्हो पालकी .और इन शब्दों को सुनते ही संसार के सारे बंधन छोड़ के भक्त जन नाचने लगते हैं और एक अनंत अनुभूति के आनन्द में डूब जाते हैं , एइसे हैं हमारे कान्हा का प्रभाव इतना प्यारा इतना बेमिसाल की कुछ कहना ही मुश्किल है ऐसे में इतने महान कान्हा के जन्म के समय यदि मुझे कुछ न लिखने का मन हो तो वो ताज्जुब की बात होगी मैं क्या आप भी इस समय जन्माष्टमी की संध्या पर जन्माष्टमी की तेयारियो में मशगुल होंगे ही क्यूंकि हजारो साल पुराना कान्हा आज भी बाल कृष्ण है आज भी द्वारकाधीश है आज भी बांके बिहारी है इन्सान तो क्या गौओको गौको माता बनाकर उसने ही इन्सान को बताया की गौ हमारे लिए कितनी पवित्र और महान है . . आज जब कृष्णा का जनम दिवस हम मना रहे हैं , और आज भी शिक्षक दिवस है हमें कृष्ण के गुरुकुल के दिनों को याद करना ही होगा गुरु भक्ति में भी कृष्ण किसी से कम न थे आपने गुरु के पुत्र को पुनः जीवित करके विश्व को ये सन्देश दिया की जीवन मरण रिश्ते नाते सब कुदरत के नियम है ... कृष्ण के बचपन से नहीं जनम से ही उनकी लीला का वर्णन करने जाय तो तो भगवत जितनी रचना हो जाएगी यह किन्तु संछेप में जरुर लिखना चाहूंगी यमलार्जुन को पेड़ के अवतार से मुक्ति देना , मासी पूतना की मुक्ति ,उसके बाद कालिय मर्दन ,गोवर्धन पर्वत का उठाकर इंद्रा के घमंड का नाश करना कंस को मारना और महाभारत के युध्द में पांडवो साथ और गीता का ज्ञान देकर साडी दुनिया को सच्ची राह बताना और रुक्ष्मिनी संग ब्याह के बाद राक्षस द्वारा गोपियों के हरण बात के बाद जब घर के लोगो ने उनका त्याग किया तब उनसे ब्याह रचकर उन्हें समाज में स्थान देना ये सब महँ कार्य किसी के बस की बात नहीं थी .कृष्ण केइतने गुण हैं की हम साधारण इंसान उनके गुणों का जितना बखान करें वो कम ही है

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पुष्पा पी. परजिया

पुष्पा पी. परजिया

हार्दिक आभार के साथ बहुत बहुत धन्यवाद ओम प्रकाश शर्मा जी .

7 सितम्बर 2015

पुष्पा पी. परजिया

पुष्पा पी. परजिया

बहुत बहुत धन्यवाद वर्तिका जी , इस लेख को पसंद करने के लिए हार्दिक आभार.

7 सितम्बर 2015

वर्तिका

वर्तिका

कृष्ण जन्माष्टमी का बहुत सुन्दर वर्णन! बधाई!

7 सितम्बर 2015

ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

जय श्री कृष्णा ! अति सुन्दर प्रस्तुति !

7 सितम्बर 2015

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--राखी का सन्देश भाई के नाम---

28 अगस्त 2015
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यादों के झरोगे आये नजर के सामने बचपन दर्पण बन सामने आये नजर के सामने रंगबिरंगे धागों से बनी राखी मन ललचाये नजर के सामने सावन की बूंदों संग अंखियाँ आंसुआ बहाए भैया की फोटो के सामने ख़ुशी है ग़म भी है कई भावनाएं भी है नजर के सामने पर हम खुद को बहलायें जाये सबके सामने .. बरसतीं आशीष है

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" कृष्ण जन्माष्टमी और कान्हा "

5 सितम्बर 2015
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मेरे सभी पाठकों को और पुरे भारतवर्ष को जन्माष्टमी की अनेकानेक बधाइयाँ और शुभेक्षाएं ..और दुनिया के सभी देशों में बसे सभी भाई बहनों को भी जन्माष्टमी की अनेकानेक हार्दिक बधाइयाँ ....कृष्ण का नाम आते ही मन में एक छबि बन जाती है एक महान योध्धा की , प्यारे से यशोदाके लाल की, एक सच्चे मित्र

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ओ जाने वाले लौट के आना

9 सितम्बर 2015
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दोस्तों आज पने स्वाभाव से अलग शीर्षक दिया है मैंने इस कहानी का आप चौंकिएगा मत क्यूंकि कहानी इन शब्दों से ही मर्म रखती है सुबह से जब किवाड़ न खुले तब सबने सोचा की आज आंटी जी क्यूँ अब तक सो रहीं हैं , सुबह भोर में जगने वाली आंटी के किवाड़ क्यूँ अब तक बंद हैं ? क्या हुआ होगा कुछ जिज्ञ

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जय श्री गणेश

15 सितम्बर 2015
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गणपति जी विघ्नहर्ता , बुध्धि दाता, दुःख हर्ता सरल सकल मनोरथ पूरण सदैव भक्तों का साथ देने वाले ऐसे भक्तवत्सल भगवान को कोटि कोटि वंदन .श्रीगणेश चतुर्थी को पत्थर चौथ और कलंक चौथ के नाम भी जाना जाता है। यह प्रति वर्ष भाद्रपद मास को शुक्ल चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। चतुर्थी तिथि को श्री

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जय श्री गणेश

17 नवम्बर 2015
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गणपति जी विघ्नहर्ता , बुध्धि दाता, दुःख हर्ता सरल सकल मनोरथ पूरण सदैव भक्तों का साथ देने वाले ऐसे भक्तवत्सल भगवान को कोटि कोटि वंदन .श्रीगणेश चतुर्थी को पत्थर चौथ और कलंक चौथ के नाम भी जाना जाता है। यह प्रति वर्ष भाद्रपद मास को शुक्ल चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। चतुर्थी तिथि को श्री

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pathik

13 अक्टूबर 2019
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Hausale buland rakh aie pathik tu Zamane ki in chingariyon me Kahin jhulas na jana tuNam unhi ke hua karte hain sangemarmar ki deevaron par Jisane apne lahoo k katron ko Chhint kar sajai thi apne armano ki dunia koHatash ho ,nirash ho eisa jazba na rakh kabhiDil me apne.. Jab thaan hi li

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