क्रोध, एक स्वस्थ भावना हैं, परन्तु क्रोध जब बेकाबू हो जाए तो इसे नियंत्रित करने में समस्या हो सकती हैं। क्रोध की स्थिति में इंसान, अपने बनते हुए कार्य को पलभर में बिगाड़ देता है। क्रोध की भीषण स्थिति अत्यंत भयानक होती है और इससे कुछ नहीं बस अपना ही नुक्सान होता है।
मनोवैज्ञानिक इसाबेल क्लार्क, क्रोध प्रबंधन में एक विशेषज्ञ कहते हैं कि, "क्रोध, एक शारीरिक प्रतिक्रिया है तथा क्रोध की स्थिति में ये जानना आवश्यक हैं कि आपका शरीर आपके बारें में क्या कह रहा है तथा आप अपने क्रोध को शांत करने के लिए क्या कदम उठा रहे है।"
उच्च रक्तचाप, दिल का
दौरा, अवसाद, चिंता, जुकाम और पाचन जैसे समस्याओं का कहीं न कहीं सम्बन्ध क्रोध से ही हैं। क्रोध व्यक्ति की शारीरिक व मानसिक सेहत के लिए नुकसानदायक है। आज की आपाधापी भरी ज़िन्दगी में, व्यक्ति छोटी-छोटी बातों में क्रोधित हो जाता हैं और नौबत रिश्ते टूटने तक आ जाती है। क्रोध की स्थिति में, नकारात्मक विचारों कि श्रृंखला उभरती हैं और इंसान के मन और मस्तिष्क को पूरी तरह से अपने बस में कर लेती है। ऐसी स्थिति में जरूरी हैं की हम एकांत में थोड़ा समय व्यतीत करें तथा अपने गुस्से के संकेत पहचानें जैसे आपका दिल तेजी से धड़क रहा है, अधिक तेजी से सांस ले रहे हैं, मुट्ठी बंद करना और अन्य लक्षण भी हो सकते हैं।
क्रोध प्रबंधन में विशेषज्ञ, मनोवैज्ञानिक, इसाबेल क्लार्क कहते है कि, "आप गुस्से के संकेतों को नोटिस कर उस स्थिति से बाहर निकल सकते हैं"। इसके लिए, आप को बस अपने क्रोध के आवेग को नियंत्रित करना है।
क्रोध प्रबंधन के कुछ आसान तरीके:
- व्यायाम और विश्राम के साथ, आप अपने तनाव के स्तर को नीचे ला सकते है।
- क्रोध के समय, आप कुछ न ही बोले तो अच्छा होगा, क्रोध शांत होने पर अपने बातों को शांति से सब के समक्ष रखें।
- तनाव, योग और ध्यान सिर्फ तनाव कम करने में मदद कर सकते हैं कि गतिविधियों के कुछ ही रहे।
- दोस्त के साथ अपनी भावनाओं पर चर्चा करना भी ऐसे में उपयोगी साबित हो सकता है।
- संगीत, नृत्य, लेखन या चित्रकला की भी मदद ले सकते है।
- ऐसी स्थिति, पर एक अलग दृष्टिकोण प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।
यदि आपको लगता है आप क्रोध पर खुद से नियंत्रण नहीं कर पा रहे हैं तो आप परामर्श और मनोचिकित्सा द्वारा भी मदद प्राप्त कर सकते है।