3 दिसम्बर 2015
<p>असहिष्णुता दरअसल उन लोगो को ज्यादा है जिन्हे कायदे से सहन करना ही गुनाह है , लेकिन सहा जा रहा है ! पत्रकारिता के नाम पर अपनी राजनीति की दूकान चलाने वाले तथाकथित पत्रकार एवं मिडिया समूह को ही सबसे ज्यादा असहिष्णुता है ! </p><p>आम आदमी को इससे पहले भला क्या पता था के असहिष्णुता क्या होती है ? इसे कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा हौव्वा बनाया गया है जो दुर्भाग्य से व्हाइट कर कहलाए जानेवाले लोग है !</p>
13 अप्रैल 2016
एक विशेष वर्ग द्वारा भारत को बदमान करने का एक षड्यंत्र है, जिसका नेतृतव कान्ग्रेस के पोषित साहित्यकार या आमिर / शाहरुख़ जैसे सितारे कर रहे है, विडम्बना है कि हम इन देश द्रोहियों को समझ नहीं पा रहे है ........
2 फरवरी 2016
<h5 class="ques_head" style="color: rgb(153, 153, 153);">भारत में असहिष्णुता नाम की कोई चीज नहीं है यह सिर्फ और सिर्फ राष्ट्र को बदनाम करने के प्रपंच है इससे अधिक और कुछ नहीं ! लोगो को शर्म आनी चाहिए जो राष्ट्र विरोधी तत्वों का साथ देकर विश्वपटल पर देश को बदनाम करने की साजिश में शामिल है ! एक भारत ही है जहा हर मजहब के लोगो को रहने की खुली छूट मिली हुई है ! अगर किसी को देश में इतनी ही परेशानी हो रही है फिर तो उन को तत्काल हिन्दुस्तान छोड़ देना चाहिए !! यह सिर्फ कांग्रेस द्वारा भाजपा और देश को बदनाम करने का स्यापा है और कुछ नहीं !! जय हिन्द ! वन्देमातरम !!</h5>
26 जनवरी 2016
<p><strong>देश विरोधी लोगो के दिमाग की उपज है इंटॉलरेंस क्या भारत मैं किसी की बोलने की आज़ादी छीन ली गयी है या बन्दूक की नोक पर जबरन किसी को दबाया जा रहा है | असहिष्णुता देश के एक विशेष वर्ग के लेखको और मीडिया के द्वारा फैलाया गया एक भ्रम जाल है जिसमे देश को बदनाम करने देश की छवि को नकारातमक बनाने और अपने नाम को ऊँचा करने का घिनौना षड़यंत्र है इसे हम देश के लोगो को कामयाब नहीं होने देना चाहिए क्या आज से पहले फिल्मकारू लेखको का विरोध नहीं किआ गया शभी ने वही लिखा या फिल्मो मैं दिखाया जो उन्हें अपने हिसाब से सही लगा अगर ऐसा नहीं हुआ तो आज देश को बदनाम करने और अपनी देश भक्ति दिखाने का क्या मतलब है राजनीतिक पार्टियो के द्वारा रचा गया प्रोपोगंडा और उनके द्वारा पोषित लोगो के द्वारा फैलाया गया मानसिक आतंक है जिससे वो लोग अपने मतलब सिद्ध करना और जनता को बेवकूफ बनाना है |</strong></p><p><br></p><br><br>
25 जनवरी 2016
<p>यदि आप किसी समाज में रहते हैं और निम्नलिखित में के किन्ही परिस्थितियों में अपने को पाते हैं तो आप एक असहिष्णु समाज में रह रहे हैं:</p><br><p><ol><li><span style="line-height: 1.42857;">आप</span><span style="line-height: 1.42857;"> अपने मत या अपनी मनः स्थिति व्यक्त कर</span><span style="line-height: 1.42857;">ते हैं और आप पर प्रहार शुरू हो जाते हैं.</span></li><li><span style="line-height: 1.42857;">आप</span><span style="line-height: 1.42857;"> महसूस करते हैं की किसी बहस में भाग लेने की अपेक्षा चुप रहने में भलाई है.</span></li><li><span style="line-height: 1.42857;">आपके</span><span style="line-height: 1.42857;"> </span><span style="line-height: 1.42857;"> तर्कों का जवाब देने की बजाये आपसे मतान्तर रखने वाले आपकी कमियां और कमज़ोरियों को जवाब के रूप में इस्तेमाल करते हैं.</span></li><li><span style="line-height: 1.42857;">जब</span><span style="line-height: 1.42857;"> प्रश्न करना और हटके विचार व्यक्त करना आपको विदेशी एजेंट, देशद्रोही या बुद्धिजीवी (जो लगता है आज एक गाली बन गया है ) बना देता है. </span></li></ol><span style="line-height: 18.5714px;"><br></span><span style="line-height: 1.42857;">अब अपने चारो तरफ देखिये और यदि आप संतुष्ट हैं तो आपको बधाई यदि नहीं तो सोचिये क्यों और कैसे आप संतुष्टि की और बढ़ सकते हैं.</span></p>
23 जनवरी 2016
<p>इस विषय पर हमने एक कथा लिखी थी, जो नवभारत टाइम्स के अपना ब्लॉग पर उपलब्ध है कृपया पढ़ें तो राजनीति के नए आयाम दिखेंगे...</p><br><h1 class="title" style="font-size: 21px; color: rgb(0, 0, 0); font-family: georgia, Arial, Helvetica, sans-serif; line-height: normal;"><a href="http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/manranjan/entry/%E0%A4%B8-%E0%A4%95-%E0%A4%AF-%E0%A4%B2%E0%A4%B0-%E0%A4%B0-%E0%A4%AE-%E0%A4%B0-%E0%A4%9C-%E0%A4%AF" title="सेक्युलर सहिष्णु राम राज्य">सेक्युलर सहिष्णु राम राज्य</a></h1>
11 जनवरी 2016
प्रश्न का आधार ही नहीं है
4 जनवरी 2016
<p>जो देश अनेक धर्मों का जन्मस्थान रहा हो , जहाँ विभिन्न धर्मों का जनम और पालन हुआ हो , वो धरती कभी असहिष्णु नहीं हो सकता है , एक बात तो साफ है की एक खास समुदाय मुखर हुआ है परन्तु मुखरता ही तो जनतंत्र का सौंदर्य है वही दूसरा समुदाय का "विशेष ध्यान" नहीं रखा जा रहा है जो की इस देश में नयी बात है पर सही है ,,, तो पचने में थोड़ा समय लग सकता है., </p>
31 दिसम्बर 2015
मेरे विचार में समस्या hai नहीं पैदा की जा रही है , अर्थात मुद्दा बनाया जा रहा है !
28 दिसम्बर 2015