पुरुषार्थ के द्वारा मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता बनता है। कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प,आशावाद और प्रेरणा का समावेश, मनुष्य में नयी उमंग और प्रेरणा भरता है।
"जीवन में श्रम का विशेष महत्व है क्योंकि परिश्रम वह सुनहरी कुंजी है जो भाग्य
के बंद कपाट खोल देती है। परिश्रम ही जीवन की सफलता का रहस्य है, परिश्रम वह माध्यम है जो
मनुष्य को मनोरथ की मंजिल तक पंहुचाता है।"
"उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः ।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ।।"
हर काम उद्यम से ही होता है, केवल मानसिक कल्पना से कार्य सिद्द नहीं होते| जंगल के राजा सिंह को भी हिरन का शिकार करना पड़ता है, सोते रहने से, हिरन उसके मुह में प्रवेश नहीं कर जाता|मनन, चिंतन, अध्ययन, ये मानसिक श्रम के उदाहरण है। जीवन में मानसिक
और शारीरिक श्रम दोनों का अपना अपना महत्व है, परिश्रमी व्यक्ति अपना भाग्य-विधाता और समाज का
निर्माता होता है । जिस देश के लोग परिश्रमी होते हैं, वह राष्ट्र उतनी
अधिक उन्नति करता है। परिश्रमी व्यक्ति अपना भाग्य का निर्माण स्वयं करता है। जिस देश के लोग परिश्रमी होते हैं, वह राष्ट्र उतनी
अधिक उन्नति करता है। प्रकृति भी हमें परिश्रम कर, जीवन पथ पर अग्रसर होने की प्रेरणा देती है। चाहे जल हो या वायु या फिर नन्ही चींटी, हमें निरंतर प्रगति पथ पर अग्रसर होने की प्रेरणा देती है।
कठिन परिश्रम वह है जो आपको चुनौतियों से रूबरू कराता है। लेकिन, आखिर चुनौती
जरुरी क्यों है ? ज़िन्दगी में हर चुनौती आपको प्रेरित करती है की आप ज़िंदगी में हर मुसीबत से लड़कर सफलता की नयी उचाइंयों को छुएं।