जल जीवन का आधार है। सचमुच जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती इसीलिए कहा जाता हैं "पानी बचायें, जीवन बचायें"। कहते हैं कि गर तीसरा विश्व युद्ध हुआ तो वह पानी के लिए होगा। ये कथन कहाँ तक सत्य है, इसका अंदाजा तो नहीं लगाया जा सकता परन्तु स्वच्छ जल की समस्या चारो ओर छायी हुई है। निश्चित रूप से, समुद्री पानी खारा हैं और पीने योग्य नहीं हैं लेकिन प्रकृति इससे मीठा करके वर्षा के रूप में हमें निरंतर प्रदान करती हैं।
ऐसा अनुमान हैं की पूरी दुनिया का १७ प्रतिशत पानी महासागरों और समुद्रो में है। केवल 2.5% बर्फ के रूप में मौजूद है और केवल .5% पीने योग्य है। इस .5% जल का वितरण भी सम्पूर्ण विश्व के विभिन्न भागों में एक सामान नहीं हैं। इसी कारण से, विश्व के कई देशों में जल वितरण की समस्या को लेकर तनाव बढ़ रहा है। लगातार बढ़ती हुई जनसंख्या, नगरीकरण के साथ औद्योगीकरण ने इस समस्या को और भी विकराल रूप दे दिया। जल प्रदूषण की वजह से, स्वच्छ पानी पीने योग्य नहीं रह गया है। जल में बढ़ते प्रदूषण ने उनमें रहने वालें जीव-जंतुओं को भी समाप्त कर दिया हैं।
इसी बाबत, दुनिया भर में जल संरक्षण की मुहीम छिड़ी हुई हैं। जल संरक्षण के लिए जल की यथासंभव बचत के साथ-साथ जल को रीसायकल करें, अर्थात उपयोग में लाएं जा रहे पानी को पुनः प्रयोग करने के लिए जरूरी प्रक्रियाओं से गुजारे और जल का रीयूज यानी उपयोग किये गए पानी का दुबारा इस्तेमाल करें। वर्षा ऋतु में यदि जल- संरक्षण व उपयोग की विधियां तलाश ली जाएँ तो जल की कई समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।
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