हिंदी भाषा के अनुसार, हम जो हिंदी काम लाते हैं, उसे सुधारने का एक छोटा प्रयास।
हम जो बोलना / कहना चाहते हैं, तो उच्चारण का ध्यान रखना आवश्यक है, तभी हमें सफलता मिलेगी, तब हम वो बोल पाएंगे।
इसी तरह हम जो लिखना चाहते हैं, तो हम वही लिखें, तो वर्तनी की शुद्धि का ध्यान रखना वांछनीय है।
वर्तनी में थोड़ा अंतर होने से शब्द बदल जाता है साथ में उसका अर्थ बदल जाता है।
कुछ-कुछ की दूसरी किस्त " कुछ कुछ - किस्त दूसरी " प्रस्तुत है, इससे भी कुछ लोगों को कुछ लाभ मिल सकता है। कृपया टिप्पणी कर मुझे कुछ बतलाते रहें। धन्यवाद, प्रणाम;
1) मोर - एक पक्षी, मयूर, हमारा राष्ट्रीय पक्षी। इससे मिलता है मयूर-पंख।
मौर - मंजरी, जैसे - आम का मौर। पेड़ के फूल।
2) पैर - आदमी के दो पैर। एक पैर पर खड़े होना।
पेर - कोल्हू में सरसों पेर कर तेल निकालना। पेरना - सताना, कष्ट देना।
3) बहु - इसका उपयोग शब्दों के आगे किया जाता है। यह बतलाता है कि कुछ एक से अधिक है, जैसे - बहुरूपिया ( एक से अधिक रूप वाला ), बहुभाषी ( एक से अधिक भाषा जानने वाला ),
बहू - पुत्र की पत्नी, बड़े पुत्र की पत्नी बड़ी बहू।
4) कृष्ण - एक भगवान,
कृष्णा - द्रौपदी,
अर्जुन के भगवान श्री कृष्ण और पांडवों की पत्नी कृष्णा (द्रौपदी)।
5) सारस - एक पक्षी,
सरस - रस सहित, सरस फल यानी रस वाला फल।
6) कार्रवाई - अनुसाश्नात्मक कार्रवाई। पुलिस ने सबूत मिलते ही कार्रवाई की।
कार्यवाही - सदन की कार्यवाही। सभी सदस्य आ चुके हैं सभा की कार्यवाही शुरू की जाए।
7) मणी - सांप,
मणि - मोती जवाहरात,रत्न,
8) अवलंब - सहारा, आश्रय,
अविलंब - बिना विलंब, शीघ्रता, विलंबरहित, तुरंत,
9) देव - देवता,
दैव - संयोग, दैव योग, भाग्य; और दैव योग से, संयोग से, भाग्य से,
10) नया से नयी बनता है। ' नई ' शब्द नहीं बनता है। जैसे - मेरा नया मित्र, उसकी नयी गाड़ी।
उदय पूना
92847 37432;
विशेष:
विद्वान कहां तक सहमत या असहमत हैं, कृपया अवश्य बतलायें।
उदय पूना