विपरीत के विपरीत
कुछ-कुछ लोग कुछ-कुछ शब्दों को भूल गए, बिसर गए;
हमारे पास शब्द हैं, उपयुक्त शब्द हैं, पर कमजोर शब्द पर आ गए।
कुछ-कुछ शब्दों के अर्थ भी भूल गए, बिसर गए;
और गलत उपयोग शुरू हो गए;
मैं भी इन कुछ-कुछ लोगों में हूं, हम जागरूकता से क्यों दूर हो गए।।
अनिवार्य है,
इस विपरीत धारा के विपरीत जाना;
भाषा उपयोग में सावधान रहना;
किस का दायित्व है ?
निज-भाषा की गरिमा बनाये रखना;
समय के साथ स्तर बनाये रखना।।
सहायता मिलाती जाए, मेरा हिन्दी ज्ञान बढ़ता जाए, कोई जानकार मिल जाए;
प्रत्येक कुछ कुछ जानता है, उतना योगदान करता जाए;
आपस के सहयोग से, एक दूसरे का हिन्दी ज्ञान बढ़ता जाए।।
भारत माता की स्वतंत्रता, सम्मान की रक्षा, है हमारा धर्म;
इस हेतु, निज भाषा की उत्कृष्टता बनाये रखना भी हमारा धर्म।।
उदय पूना,
९२८४७ ३७४३२,
92847 37432;