जब जीवात्मा एक शरीर का त्याग करके किसी दूसरे शरीर में जाती है तो इस बार बार जन्म लेने की क्रिया को पुनर्जन्म कहते हैं। पुनर्जन्म एक ऐसा आध्यात्मिक और वैज्ञानिक विषय है जो हमेशा से मानने और ना मानने वालों के बीच विवाद का विषय रहा है। पुनर्जन्म को मानने वाले लोग भी है और न मानने वाले भी है। पर क्या पुनर्जन्म का कोई वैज्ञानिक आधार है? अधिकांश बच्चे जो अपनी पिछली पहचान के बारे में बात करते हैं, अक्सर वे एक तरह का दोहरा अस्तित्व अनुभव करते
हैं, जहां कभी-कभी एक जीवन अधिक महत्वपूर्ण होता है, और कभी-कभी दूसरा जीवन।
बच्चें की यह अवस्था उस समय ऐसी होती हैं जैसे एक समय में दो टीवी पर अलग-अलग धारावाहिक देखना. लेकिन समय के साथ एक स्मृति धुंधली हो जाती है। यही नहीं अध्यन में यह भी पाया गया है कि शुद्ध शाकाहारी बच्चा किसी मांसहारी परिवार में जन्म ले ले तो उसके मन मे मांसाहार के प्रति अरुचि पैदा हो जाति हैं। अक्सर जो बच्चे अपने पिछले जीवन में विपरीत लिंग के सदस्य थे, वे नए लिंग के समायोजन में कठिनाई दिखाते हैं। लड़कों के रूप में पुनर्जन्म होने वाली पूर्व लड़कियों को लड़कियों के रूप में पोशाक करना या लड़कों की बजाए लड़कियों के साथ खेलना पसंद हो सकता है।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार व्यक्ति का पुनर्जन्म अवश्य होता है लेकिन ऐसा कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया है कि मरने के तुरंत बाद व्यक्ति का पुनर्जन्म हो जाता है। अगर हिंदू मान्यताओं पर विश्वास किया जाए तो मृत्यु के बाद आत्मा इस वायुमंडल में ही चलायमान होती है लेकिन उसे एक न एक दिन नया शरीर जरूर लेना पड़ता है।
ज्योतिष शास्त्र में पुनर्जन्म की अवधारणा को ज्यादा प्रमुखता से दर्शाया गया है। हम जिसे प्रारब्ध
कहते है, यानि पूर्व कर्मों का फल, वह ज्योतिष का ही एक हिस्सा है। इसलिए ज्योतिष की लगभग सारी विधाएं ही पुनर्जन्म को स्वीकार करती हैं। ज्योतिष के अनुसार यह माना जाता है कि हम अपने जीवन में जो भी कर्म करते हैं उनमें से कुछ का फल तो जीवन के दौरान ही मिल जाता है और कुछ हमारे प्रारब्ध से जुड़ जाता है। इन्हीं कर्मों के फल के मुताबिक जब ब्रह्मांड में ग्रह दशाएं बनती हैं, तब वह आत्मा फिर से जन्म लेती है।
यह माना जाता है कि आत्मा अमर होती है और जिस तरह इंसान अपने कपड़े बदलता है उसी तरह वह शरीर बदलती है। मनुष्य को अगला जन्म, अच्छी या ख़राब जगह जन्म, उसके पिछले जीवन के पुण्य या पाप की वजह से मिलता है। कुछ पश्चिमी देशों में भी इन धारणाओं पर विश्वास किया जाता है पर ईसाई और इस्लाम में इसे मान्यता नहीं
है।
हालांकि पुनर्जन्म के सिद्धांत को हिन्दू धर्म तो पुरातन काल से मानता चल आ रहा है, पर अभी तक इसे वैज्ञानिक मान्यता नहीं, मिली है। हिन्दू धर्म में तो विष्णु भगवान के दस अवतारों को हम सभी सच मानते है जिसमे से राम और कृष्ण भगवान की पूजा भी करते है। हिन्दू, जैन, बौद्ध धर्म के ग्रंथों में इनका उल्लेख पाया जाता है। लेकिन कहीं ना कहीं हम
सभी पुनर्जन्म को मानते है।
रमा कुशवाह