कल दिया गया था संसद में भाषण | विरोधी दलो के नेताओ ने किया संसद से पलायन | क्या स्मृति ईरानी के भाषण ने मोदी सरकार के अंक बढ़ा दिए है ? क्या स्मृति ईरानी का भाषण लोगो में मोदी सरकार के प्रति सोच में परिवर्तन ला देगा ? आपका क्या मानना है रॉय दें ?
25 फरवरी 2016
कल दिया गया था संसद में भाषण | विरोधी दलो के नेताओ ने किया संसद से पलायन | क्या स्मृति ईरानी के भाषण ने मोदी सरकार के अंक बढ़ा दिए है ? क्या स्मृति ईरानी का भाषण लोगो में मोदी सरकार के प्रति सोच में परिवर्तन ला देगा ? आपका क्या मानना है रॉय दें ?
<p>इनको हटाओ, हमको लाओ बस इसी खेल में देश बरस-ओ-बरस धधकता रहता है । 5-10 साल एक सरकार से उम्मीदें लगाकर जब जनता थक जाती है तो दूसरा आ जाता है । मज़बूत विकल्प भी गिनती के ही होते हैं, जनता फिर लाइन लगाकर वोट दे आती है । वास्तव में अब जड़ें ही सड़ चुकी हैं इसलिए मज़बूत दरख़्त, सुकूनदेह छाँव और फल-फूल की उम्मीदें ही दर्द बन चुकी हैं । ये खेल पुराना है और इसका बन्द होना भी नामुमकिन है । </p>
27 फरवरी 2016
<p><span style="color: rgb(153, 153, 153); font-size: 15px; line-height: 19.5px;">अलोक जी सत्य कहा आपने मैंने जब देखा कि स्मृति ईरानी ने बोलना प्रारम्भ किया तो उस समय केवल एक ही महिला के स्वर संसद में गूँज रहे थे और वो थे केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के स्वर जिस प्रकार वो विपक्क्षी दलो पर लक्क्ष साधते हुये सत्य सभी के समक्क्ष उजागर कर दिया उससे विरोधियो तक यह सन्देश भेज दिया कि अब बस बहुत हुयी व्यक्तिगत लाभ के लिये राजनीति और यह भी कहा कि उनके द्वारा रोहित को केवल एक छात्र बताया गया न कि एक दलित छात्र जैसा सुश्री मायावती व् राहुल गांधी व् उनके दल के लोग कहते है | उन्होंने कांग्रेस पार्टी के सांसद हनुमंत रॉव , शशि थरूर व् ओवैसी के द्वारा स्मृति ईरानी जी को लिखे गये पत्र भी सभी के समक्क्ष दिखाया जिसने वास्तविकता को प्रदर्शित कर दिया |इसके बाद ही राहुल गांधी संसद सत्र से पलायन कर गया उन्हें और कोई विकल्प नहीं दिखा | स्मृति ईरानी के कालअवधि में 1-5-2014 से लेकर 23-2-2016 तक उनके मंत्रालय को छियासठ हज़ार दो सौ तीस grievances प्राप्त हुए जिसमे से इकसठ हज़ार आठ सौ बानबे समस्याओ का समाधान किया और उनसे कभी ये नहीं पूछा कि तुम्हारा धर्म क्या है उन्होने और भी बहुत कुछ कहा आपको पता होगा | मेरा यह मानना है कि इस भाषण से आम आदमी की सोच में कुछ तो बदलाव अवश्य आएगा आपको क्या लगता है|</span></p>
26 फरवरी 2016
<p><span style="line-height: 18.5714302062988px;">सत्य कथन धनी महाराज स्मृति ईरानी जी ने विरोधी दलो को जो धूल चटाई है वो केवल दो लोग ही बता सकते है एक वह जिसने धूल चाटी हो और दूसरा वो जिसने धूल चटवाई हो |</span></p>
26 फरवरी 2016
अलोक जी और रुद्राभिषेक जी कल मैंने न्यूज़ में स्मृति ईरानी जी की क्लिप देखी थी उस क्लिप में वो जो बोली है वो काबिलेतारीफ है मतलब अंबिलिव्बल था लगा जैसे उनमे मोदी जी की सोल आ गयी हो |
26 फरवरी 2016
<p>वर्तमान समय में चल रहे संसद सत्र के अधिवेसन में वित्तीय वर्ष 2016-17 के मूल बजट को पास करना भाजापा के लिए प्राथमिक है वही भाजापा मंत्री स्मृति ईरानी ने विपक्क्षी नेता सुश्री मायावती एवम कांग्रेस उपाध्यक्क्ष श्री राहुल गांधी को दो टूक बेबाक शब्दों से केंद्र सरकार की मंशा को स्पस्ट करते हुए उन्होंने कहा की हमारी पार्टी या स्वयं मैंने कभी भी जातीवाद की राजनीत नही की है तथा मुझ पर जो भी आरोप लगाये जा रहे है वो निराधार है तथा ऐसे आरोपो को मै ख़ारिज करती हूँ यदि कोई नेता मेरे खिलाफ कोई सबूत लाकर दे तो मैं राजनीत से सन्यास ले लूंगी ईरानी के सदन में तीखे सुरो से संसद भवन गूंज उठी वही दूसरी तरफ कांग्रेस उपाध्यक्क्ष राहुल गांधी अपने को शर्मसार होते देख सदन से उठ कर चले गए।प्रश्न इस बात का है जब विपक्क्ष् केंद्र सरकार को आरोपो में घेरने की तयारी करती है और बहश को तैयार है ऐसी स्थित में केंद्र सरकार से सदन में बहस करनी चाहिए जिससे आम जनता को विपक्क्ष् के मुद्दों पर निष्कर्ष जान सके परंतु केंद्र सरकार के विशेष कर स्मृति ईरानी के तीखे तेवरो के सामने विपक्क्ष नदमस्तक हो गया भाजपा द्वारा अभी तक के कार्यकाल तक सभी विपक्क्षी दलों को अपने में सामंजस से सरकार चलने की भूमिका निभा रही थी जिसका विपक्क्षी दलों ने केवल सिर्फ केंद्र सरकार पर आरोप ही लगाती रही आरोप पत्यारोपो का सिल्सिय अब शायद थमता दिख रहा है कारण कि भाजाप की केंद्र सरकार ने अपना स्पस्ट रुख अपना लिया है ऐसे में देखना यह है कि विपक्क्ष् कहाँ तक भाजापा का राज्यसभा में बिल पास करने में मदद करेगा जिस्टी जैसे बिल बिना राज्यसभा में पास कराये शायद अधर में दिख रहा है आगे के हालात केंद्र सरकार के अच्छे नही दिख रहे है कारण कि लोक सभा में बहुमत होते हुए भी राज्यसभा से किसी भी बिल को पास करना अनिवार्य है जो विपक्क्ष की गन्दी एवम् घ्रणित के चलते असंभव सा दिख रहा है केंद्र सरकार की आम जनता के लिए बेरोजगारो के लिए सबका साथ सबका विकाश इस पंचवर्षीय योजना में पूरा होता दिख रहा है केंद्र की साफ सुथरी राजनीत जो जाती पात से ऊपर उठकर राष्ट्रवादी चिंतन के साथ आम जनता के लिए हित कर होने की संभावना है केंद्र की सरकार अभी तक के कार्यकाल में भ्रटाचार व घोटालो से अलग हट कर साफ़ सुथरी राजनीत की है जिससे भारत देश की जनता ने सराहा है। </p>
26 फरवरी 2016