19 फरवरी 2016
<p>संजय जी,</p><p>आपकी प्रतिकृया हेतु आभारी हूँ । थोड़ा व्यस्त होने के कारण उत्तर देने मे विलंभ हुआ । </p><p>रूद्राभिषेक जी , </p><p>(जैसा की आपने अपने कमेंट मे लिखा था)- मैं आपकी बात से सहमत हूँ की ये आपका सिर्फ एक प्रश्न है जिसे व्यक्तिगत नहीं लेना चाहिए । ऐसा मैंने इस लिए कहा क्योंकि मैंने तो इसी रूप से आपके प्रश्न को देखा था और उत्तर दिया । और आगे भी देती रहूँगी ... </p><br>
24 फरवरी 2016
गायत्री जी आपका आंसर परफेक्ट है
20 फरवरी 2016
भगवान ने हर किसी इंसान को अलग बनाया है और अलग अलग बुद्धि दी लेकिन जब चपरगंजे रजत की बारी आई वह थक चुका था <div>.</div><div>.</div><div>.</div><div>और फिर दे कॉपी पेस्ट दे कॉपी पेस्ट दे कॉपी पेस्ट</div>
20 फरवरी 2016
<p><span style="color: rgb(153, 153, 153); font-size: 15px; line-height: 19.5px;">गायत्री जी मुझे लगता है कि आप भी शब्दनगरी संगठन का हिस्सा है मैं इससे भलीभांति परिचित हूँ आपसे अनुरोध है की आप सर्वप्रथम अपने संगठन के लोगो को मर्यादा में रहना सिखाये वार्ता करने हेतु शिष्टाचार्य सिखाये मेरे द्वारा लिखा गया प्रश्न केवल एक प्रश्न है यदि आप सहमत है तो हाँ अथवा नहीं में उत्तर दे सकती है परन्तु कुछ सदस्य इससे व्यतिगत रूप से ले रहे है तो उन्हें उत्तर देना आवश्यक हो जाता है आपकी प्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद परन्तु मुझे यह एक पक्षीय लगा |</span></p>
20 फरवरी 2016
<br><p><span style="line-height: 18.5714px;">रूद्राभिषेक जी १् में मैंने आपके प्रश्न का उत्तर दिया और २, ३ में मैंने अपना विचार लिखा की मेरे हिसाब से बुद्धिजीवी क्या है - </span></p><p><span style="line-height: 18.5714px;">मैंने अपनी प्रतिक्रिया दी है , कृपया इ्स्े् इसी रूप से देखें , व्यक्तिगत न लें . <br></span><span style="line-height: 18.5714px;"><br></span></p><p>१- मैंने अभी तक शब्दनगरी पे लेख भी ठीक ठाक देखें हैं और आपलोगों के अलग अलग मुद्दों पर एक से बढ़िया एक प्रश्न और उत्तर भी । मेरे हिसाब से जो लेख लिख सके, तर्क - वितर्क कर सके, हर बात को समझ सकें वो सब बुद्धिजीवी ही होते हैं तभी तो यहाँ टिक सकते है . और ये तो शब्दनगरी पर लगभग हर व्यक्ती कर ही रहा है, और धीरे धीरे ये सिलसिला बढ़ता ही दिख रहा है . तो मेरे हिसाब से संख्या घट तो नहीं रही है . </p><p>______________________________________________________________________________________________________________________________</p><br><p>२ - हम सबके लिए बुद्धिजीवी का अर्थ एक जैसा नहीं होगा . हां कम बुधिजीवि या ज्यादा बुद्धिजीवी ज़रूर हो सकता है . जैसे - वकालत् में वकील ज्यादा बुद्धिमान होगा और मेरे जैसी घरेलु महिला वकालत् में उससे थोड़ी कम बुद्धि रखती है … लेकिन खाना मैं बहुत अच्छा बनाती हूँ और ये काम वकील नहीं कर सकता तो इस मामले में मेरी बुद्धि उससे अधिक हुई . कहने का मतलब ये है की जैसे जैसे व्यक्ती का अनुभव बढ़ता है , बुद्धि का विकास उतना अधिक होता है . </p><br><p><span style="line-height: 1.42857;">३ - अब अगर उदाहरन् लें तो </span><span style="line-height: 1.42857;"> हम सब तो इंसान है , एक चिड़िया भी भूख लगने पर खाना खोज कर खाती है, प्यास लगने पर पानी भी ढ्ू्ं्ढ्ती है और अपनी प्यास बुझा लेती है तो बुद्धिजीवी तो वो भी है . </span><span style="line-height: 18.5714px;">वो अलग बात है की उसका शब्दनगरी से कोई लेना देना नहीं </span></p>
19 फरवरी 2016
<p>रुद्राभिषेक जी मुझे लगता है कि कुछ हद तक आप की बात सही है मैंने भी देखा है दिन भर वही काव्यान्जलि और गघसंकलन , इंडिया संवाद और हमारे त्रिपाठी जी अलोक जी चंदेल जी केवल इन्ही के लेख दिखाई देते है और रजत चंडूल तुम बड़े ही असभ्य हो पहले लोगो से बात करना सीखो तुम्हारे लिखे हुए शब्दों से तुम्हारे अंदर के संस्कारो का पता चलता है</p><p>वो कहते है न कि</p><p>सच्चाई छुप नहीं सकती बनावट के उसूलो से</p><p>खुशबू आ नहीं सकती कागज के फूलो सें </p><br><p>हिंदी सीखनी है मेरे पास आओ दो तीन छींटे तेरे ऊपर भी डाल दूंगा ताकि तेरे अंदर कुछ संस्कार के कीड़े उत्पन्न हो जाये जो कि प्लास्टिक के होंगे गलेंगे भी नहीं सड़ेंगे भी नहीं </p>
19 फरवरी 2016
<p>रजत जी आप बुद्धिजीवीयो की सूची में नहीं आते जब मेरे द्वारा लिखा गया एक प्रश्न आप में इतनी व्याकुलता ला सकता है तो इसका आशय स्पष्ट है कि मैं कुछ तो हूँ और आप बुद्धिजीवी नहीं क्योंकि जिस प्रकार आपने मेरे द्वारा लिखे गए प्रश्न को व्यक्तिगत रूप से ग्रहण किया है उससे यह स्पष्ठ है कि मेरे द्वारा लिखा गया प्रश्न कही न कही सत्यता स्पष्ठ कर रहा है और जहाँ तक बात है मेरे लेखो की तो मेरे द्वारा लिखे गए लेख मेरे अपने आप के है मैंने आपकी भाँति चोरी नहीं की और शब्दनगरी की सत्यता को सभी के समक्छ प्रदर्शित किया है।</p><br><p>आपके द्वारा लिखे गये चोरी के लेखो पर जो मेरी प्रतिक्रिया थी आपकी ये प्रतिक्रिया मेरे द्वारा लिखे गए सत्य के विरोध में प्रतिक्रिया है इससे में भलीभाँति परिचित हूँ |</p><br><p>ज्यादा व्यक्तिगत होने की आवश्यता नहीं क्योंकि यदि मैं व्यक्तिगत हो गया तो आपके लिए संकट उत्पन्न हो सकता है | और हाँ बेवकूफाना नामक कोई शब्द हिंदी में नहीं है यह उर्दू का वाक्य है पहले हिंदी लिखना सीखे आपको अभी हिंदी सीखने की आवश्यकता है और ध्यान रहे अगले चरण में इस तरह के वाक्य प्रयोग में लाकर अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय न दें ।</p>
19 फरवरी 2016
<p>युवराज जी मैं ऑफिस के काम की वजह से थोडा कम समय दे पता हूँ शब्द नगरी में इसलिए लोगो से कम जुड़ पाया हूँ लेकिन जहा तक आपकी बात है आप एक बुद्धिजीवी व्यक्ति है मुझे मित्र बनाने के लिए धन्यवाद </p>
19 फरवरी 2016
<p>रुद्राभिषेक जी शब्दनगरी सोशल मीडिया है जो हर प्रकार के यूजर के लिए है | शब्दनगरी संगठन से जुड़ी कुछ सामग्री को छोड़कर कोई भी लेख चित्र अथवा विडियो या प्रश्नोत्तर फोरम पर कोई भी अपने मन की बात या विचार प्रश्न साझा कर सकता है |यहाँ चयन का कोई आधार नहीं है | यह मंच बुद्धिजीविओं के साथ ही सभी लोगों का है | वैसे विशेष कर आप जैसे बुद्धिजीवी से हमारा विशेष आग्रह है कि अपनी बुद्धि का परिचय देते हुए बुद्धिजीवी वर्ग विशेष से सम्बंधित अपने लेखों के जरिये आप द्वारा अहसास की गई बात कि शब्दनगरी में बुद्धिजीवियों की संख्या घट रही है को बढ़ा सकते हैं <span style="line-height: 1.42857;">|</span><span style="line-height: 1.42857;">आप द्वारा रोजाना लिखे बुद्धिजीवी लेखों का शब्दनगरी को इंतज़ार है|</span></p>
19 फरवरी 2016
<h4 class="push-top-10" style="color: rgb(51, 51, 51); margin-top: 10px; margin-right: 10px; margin-bottom: 3px; font-size: 13px; padding-top: 0px;"><span style="color: rgb(153, 153, 153);"><a href="http://shabdanagari.in/Public/User/rudrabhishek-yuvraj-7385" style="outline: 0px;">रुद्राभिषेक युवराज</a> </span><font color="#000000">जी मुझे ऐसा बिलकुल नहीं लगता की शब्दनगरी पर कभी बुद्धजीवियों की संख्या कम हुयी है बल्कि यह तो दिन प्रतिदिन बढ़ती ज्ा् रही है और्</font><span style="color: rgb(0, 0, 0); line-height: 1.42857;"> हाँ कुछ चयनित सदस्यों के द्वारा लिखे गए लेख की बात है तो शायद आपने अपने इन बेवकुफाना लेखो के अतिरिक्त कोई और लेख देखे नहीं है इसलिए आप ऐसा बोल रहें है ।््््््् </span></h4><h4 class="push-top-10" style="color: rgb(51, 51, 51); margin-top: 10px; margin-right: 10px; margin-bottom: 3px; font-size: 13px; padding-top: 0px;"><span style="color: rgb(0, 0, 0); line-height: 1.42857;">अब अगर आप अपना समय व्यर्थ में बर्बाद न करके शब्दनगरी पर अच्छा लेख लिखेगे तो निश्चित ही तौर पे एक अच्छे लेख का निर्माण होगा ।््् </span></h4><p style="color: rgb(153, 153, 153); line-height: 18.5714px;"><span style="color: rgb(0, 0, 0); line-height: 1.42857;">आशा है आप अपना एक सराहनीय लेख का निर्माण करेंगे । </span></p><p style="color: rgb(153, 153, 153); line-height: 18.5714px;"><span style="color: rgb(0, 0, 0); line-height: 1.42857;">धन्यवाद</span></p>
19 फरवरी 2016