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लाज़

sushil

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3 अप्रैल 2022 को पूर्ण की गई
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“लाज़” एक शब्द नही बल्कि औरत का वह कीमती आभूषण है , और समाज औरत को यह शिक्षा देता है कि वह पूरे जीवन इसकी रक्षा करे, पर ऐसा देखा गया है कि जो समाज औरत को यह शिक्षा देता है, औरत को उसी समाज से अपनी लाज़ को बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ता हैं। यह रचना समाज के सामने यह प्रश्न खडा करती है कि “ क्या औरत की लाज़ की जिम्मेदारी सिर्फ औरत की ही हैं?" 

laaj

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