1 नवम्बर 2017
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वक़्त कभी नही रुकता ऐ मुसाफ़िर तुम चलते चलो मंजिल मिल ही जायेगी चलते चलते,वक़्त कभी नही रुकता ऐ मुसाफ़िर तुम चलते चलो मंजिल मिल ही जायेगी चलते चलते,वक़्त कभी नही रुकता ऐ मुसाफ़िर तुम चलते चलो मंजिल मिल ही जायेगी चलते चलते,वक़्त कभी नही रुकता ऐ मुसाफ़िर तुम चलते चलो मंजिल मिल ही जायेगी चलते चलते,वक़्त कभी नही रुकता ऐ मुसाफ़िर तुम चलते चलो मंजिल मिल ही जायेगी चलते चलते,वक़्त कभी नही रुकता ऐ मुसाफ़िर तुम चलते चलो मंजिल मिल ही जायेगी चलते चलतेD
उत्तम ।
17 नवम्बर 2017
अच्छा प्रसंग लिखा अपने उपासना जी, काश सभी इस तरह सोच पाते
2 नवम्बर 2017