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कविता - इंसान बन जाओ

5 अप्रैल 2018

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कभी हिंसा और दंगे के सिवा , कुछ काम ऐसा तो कर, मन मे ठान ले ये तू कि, कोई गरीब न सोये भूखे पेट, उनको रोटियों का निवाला दे देते लोग, आरक्षण और जातिवाद के बहाने, खून की होली मत खेल ो, कुछ नेक काम कर लेते अगर तो, ऊपर वाला खुश होता, कि तुझे जमीं पर भेज कर कोई गुनाह नही किया उसने, जब मन ही सच्चा नही है, तो मन्दिर क्यूँ जाते हैं लोग, जब दंगे फसाद ही करने होते हैं, तो इंसानियत का ढोंग क्यूँ करते हैं लोग,

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