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लघुकथा-अनजाने रिश्ते की डोर

21 नवम्बर 2017

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मीरा ने सुबोध से जिंदगी भर का साथ माँगा। मगर किस्मत भी अजीब खेल खेलती है। शादी के एक साल बाद ही मीरा ने सुबोध को खो दिया। जिंदगी कितनी निराश हो गयी थी! हर सपना कांच की तरह टूट गया। मीरा एक स्कूल में पढ़ाने लगी थी। पैसे की कोई कमी नही थी । मगर ऐसा कोई पल नही गुजरा जब सुबोध की याद में रोई न हो। रोज की तरह घर से निकली ही थी कि देखा सामने कचरे के ढेर से किसी बच्चे की रोने की आवाज आ रही थी। इधर उधर देखा कोई नही दिखा। करीब जाकर देखा तो उस पालीथिन में एक बच्ची थी। जो बेतहाशा रो रही थी।सर्दी का मौसम। जल्दी से अपनी शॉल से लपेट कर उस बच्ची को घर ले आयी। आज उसको मातृत्व का सुख जो मिल गया था। गीले कपड़े से पोछकर उसको शॉल से ढक कर सीने से लगा लिया। 'सुबोध कहते थे कि हमारी बेटी होगी,जिसका नाम हम सौम्या रखेगे' ये सोचकर आंसू पोछते हुए मीरा ने सौम्या को चम्मच से दूध पिलाया।और भगवान ने उसको एक और मौका दे दिया जीने का। 'माँ ?? आप कहाँ हो देखो मैं क्या लायी हूँ आपके लिये( हाथों में कुछ छिपाते हुए बोली सौम्या) सोमू तू मुझे कोई काम नही करने देगी। हाथ आगे करो ! सौम्या बोली लो (हाथों को आगे करते हुए बोली मीरा) एक गुलाब का फूल था। गुलाब का फूल देख कर मीरा की आंखों में आंसू आ गये। भले सौम्या उसकी खुद की संतान नही थी । मग़र उसकी पसंद सुबोध से बहुत मिलती जुलती थी। कही न कही ये अनजान रिश्ता था।जो भले ही खून का नही हो मग़र सुबोध की परछाई थी नन्ही परी सौम्या । 'उपासना पाण्डेय'(आकांक्षा) हरदोई 'उत्तर प्रदेश'

उपासना पाण्डेय की अन्य किताबें

niyati arya

niyati arya

bhut hi pyari h ye kahani..

22 नवम्बर 2017

रेणु

रेणु

बहुत ही मर्मस्पर्शी लघुकथा है प्रिय उपासना जी | -- मन को छु गयी _ काश दुनिया में रिश्ते इतना आसान होते |

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दिल मे नही रुकते अब मेरे जज्बात ,तुम रहते हो मेरे दिल के पास ,मुझे फर्क नही पड़ता कि तुम रहते हो मुझसे दूर,बस तुम्हे कोई जब देखता है, तो दिल पता नही क्यों हो जाता है उदास,उसको भी खबर है कि तुम सिर्फ मुझसे मोहब्बत करते हो,मगर न जाने कैसे अजीब सा होता है एहसास,कि कही को

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रोशनी?? ,जी मेमसाहब ,मैं बस बर्तन साफ करके आती हूँ ,कुछ काम जो बाकी है जो जल्दी ही खत्म करके ही घर जाऊँगी। "हाँ"और कुछ कपड़े है वो लिए जाना रिया को पसन्द थे सो उसने तुम्हारी बेटी रुचि को देने को बोला है।ये बोलकर भारती अपने बेडरूम में चली गयी। "मेमसाहब" हाँ बोलो फ़ोन में व्यस्त भारती ने ऐसे बेपरवाह होक

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