मैं अपने बारे में क्या बताऊ सिर्फ यही कह सकता हूँ कि कुछ जज्बातो को शब्दों में पिरोने की कोशिश है , उम्मीद है आप सभी को पसंद आएगी
काव्य रचना संग्रह
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नन्हे मुट्ठियो में बंद कई अरमान है जिंदगी , गिरते सम्हलते कदमो को एक मैदान है जिंदगी , चाँद सितारों को छूने की तमन्ना लिए हुए उड़ते परिंदो का एक खुला आसमान है जिंदगी,
रूठना , रूठ कर मान जाना समर्पित कर देना स्वयं को किसी के प्रेम में , उसकी आगोश में यही वो समर्पण है जो बनाता है नारी को एक निःशस्त्र परन्तु अद्वितीय विजेता .
ज़िन्दगी की कशमकस का ये हाल है फ़कीर , सोया कीए जागते हुये, ज़ागते हुये भी सोते रहे ! ईबादत की ऐसी फितरत हो गयी अब तो , पूज़ते रहे पत्थरों को, इंसानियत को खोते रहे ! मोहब्बत इस कदर हो गयी नफरत से हम
जब भी चाहा हमने इंसान बनकर जीना यहां, लोग हरकतो से अपने शेतान बना देते हैं, कुचलते है अक्सर लोग नाजुक फूलों को, पत्थर को तो भगवान बना देते हैं,
ना किसी से कोई शिकवा है, ना शेष कोई फरियादे है कुछ धुधली धुधली चाहत है, कुछ भूली बिसरी यादे है| इक झीनी झीनी चादर है, इक उलझा ताना बाना है, इक कागज की कश्ती है, सागर पार तक जाना है.
प्रारम्भ एक शुन्य से और अन्त भी एक शुन्य है, मध्य सारी सृष्टी है प्रतिरूप सिर्फ एक है| योग सारा शुन्य है और रिक्तीया भी शुन्य है, शेष भी एक शुन्य है पर भाव सिर्फ एक है| तिमीर भरे इक प्रागंण मे श