अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस केवल महिलाओँ के समान अधिकारोँ और समान अवसरोँ को स्थापित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सोलिडरिटी और एकता कायम करने के उद्देश्य के प्रति ही नही बल्कि क्रान्तिकारी मजदूर वर्ग संघर्ष को भी मजबूत बनाने के लिए समर्पित है।इस संबंध मेँ स्वर्णाक्षरोँ मेँ अंकित एक नाम है महान क्रांतिकारी नेत्री क्लारा जेटकिन का,महिलाओँ,मजदूरोँके हक के लिए उनका बहादुराना संघर्ष बड़ा महान है।उनका जीवन संघर्ष दुनियाभर के महिलाओँ मजदूरोँ और शोषित पीड़ित सभी के लिए प्रेरणा का सतत् स्त्रोत है।..
पेरिस सम्मेलन मेँ उन्होँने कामकाजी महिलाओँ का प्रसंग उठाया।तमाम लोगोँ ने औघोगिक मजदूर के रूप मेँ महिलाओँ के काम करने का विरोध किया था।उनका कहना था कि महिलाओँ व्दारा मजदूरी का काम किये जाने से ही मजदूरी घट रही है,मालिक वर्ग ने काम के घंटे भी बढ़ा दिये है।इस मत का विरोध करते हुए क्लारा ने कहा था कि कम मजदूरी और लम्बे काम के घण्टोँ की वजह से पुरुष मजदूरोँ की तरह महिला मजदूर भी तो दुर्दशा भोग रही हैँ।मजदूर के रूप मेँ महिलाओँ और पुरुषोँ का मौलिक हित चूंकि एक ही हैँ,इसलिए महिला मुक्ति लानी है तो महिला मजदूरो को समाजवादी विचारधारा लेकर पुरुष मजदूरोँ के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ना होगा।
आज के इस भीषण शोषण के दौरा मेँ जब महिलाएँ दोहरे शोषण का शिकार है एक ओर पुरुषवादी मानसिकता तो दूसरी निर्मम पूंजीवादी व्यवस्था का। समय की मांग है कि महिलाओँ को जागृत होकर,हर प्रकार के शोषण दमन को समाज से खत्म करने के लिए अपने पुरूष साथियोँ के साथ के एक उन्नत संस्कृति से लैस होकर लड़े।
क्लारा व अन्य सभी मेहनतकश महिलाओँ के संघर्ष को हमारा सलाम।
वीरेन्द्र त्रिपाठी, लखनऊ