मन मयूर यूँ झूम रहा है, बरखा ऋतु आई हो जैसे
वन उपवन की सब हरियाली मन पर भी छाई हो जैसे
धुले हुए पत्तों ने देखो अभी अभी श्रृंगार किया
गगन रीझ के सुंदरता पर इंद्रधनुष का हार दिया
चंचल चपल नायिका देखो बिजली बन आई हो जैसे
वन उपवन की सब हरियाली मन पर भी छाई हो जैसे.
मोर के पंखों पर देखो तो सतरंगी से फूल खिले
जाने किसको कहां से इतने सुंदर सुंदर रंग मिले
मुक्त हवा में छोड़ के आंचल ,लता की अंगड़ाई हो जैसे
वन उपवन की सब हरियाली मन पर भी छाई हो जैसे.
मन मयूर यूँ झूम रहा है , बरखा ऋतु आई हो जैसे
वन उपवन की सब हरियाली मन पर भी छाई हो जैसे
@सरोज यादव