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मेरी डायरी

6 अगस्त 2022

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हर भ्रष्ट तंत्र की
दलदली जमीन में
कुछ फैशनेबल शब्द
फल की तरह 
लगते हैं
लफ्फाजियों के
घने पेड़ों पर
#########
         2
वे ही विशेषज्ञ हैं
जिन्हें आता है
बिना डकार लिए
सबके हक की
एक एक चीज 
पचा लेना
सबके समर्थन के साथ
##########
          3
आदिवासी
किसान
बेरोजगार
स्कूल
अस्पताल
राजनीति का
बारहमासा
#######
         3
हाँ मुझे भी भाता
फूल ,कली ,तितली 
और प्रेममय काव्य
तब जब जाता पेट में
सोंधी मिट्टी लपेटे 
देश के खुशहाल
किसान का अनाज
###########
           4
लफ्फाजियों का दौर
उन्मादियों का शोर
बताता है समाज
दरअसल होता है
सिर्फ स्वार्थी ,संकीर्ण और 
कायर मनुष्यों का
व्यवस्थित बसावट
###########
@सरोज यादव

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कविता रावत

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व्यवस्था पर करारी चोट। आज का सत्य बड़े ही सटीक ढंग से प्रस्तुत किया है आपने

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आज पत्रकारिता

5 अगस्त 2022
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हो ऐसा घर तो अच्छा हो

7 अगस्त 2022
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न जाने क्यों मुझे लगता है मैं हूँ भीड़ में तन्हान कोई शोर न साया, हो ऐसा घर तो अच्छा होयहां दो अजनबी रहते ,कोई दिन यूँ नहीं गुजरेअकेलापन मेरा साथी जो ऐसा हो तो अच्छा होयहां हर मोड़ पर दुख दर्द की कितनी

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9 अगस्त 2022
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मन मयूर यूँ झूम रहा है, बरखा ऋतु आई हो जैसेवन उपवन की सब हरियाली मन पर भी छाई हो जैसे धुले हुए पत्तों ने देखो अभी अभी श्रृंगार कियागगन रीझ के सुंदरता पर इंद्रधनुष का हार दियाचंचल चपल नायिका देखो

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'चाँद मेरे हाथ मे'

20 अगस्त 2022
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हारती नफरत यहां परप्रेम का वो सिलसिला हैचाँद मेरे हाथ मे ,मन मे अंधेरा क्यों घुला हैपथ को आलोकित करे जोदीप जलकर रौशनी दे रात के भयभीत पथ को उजली उजली चांदनी देफिर भी उसके गिर्द इतना काल

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