shabd-logo

माँ का दर्द

5 मार्च 2022

37 बार देखा गया 37

अब वो घर में ,घर में , घर मे , घर में मिलता ही नहीं।।

कभी वो दिल से, दिल से, दिल से , दिल से निकलता ही नहीं।।


मैं तो माँ हूँ ,सोचती हूँ, तू कहीं मिल जाएगा।

तेरे पिता का ,हाल बुरा है, तू समझ ना पायेगा।।

लाख चाहैं ,पर कभी वो, दिल से निकलता ही नहीं।

अब वो घर में ,घर में , घर मे , घर में मिलता ही नहीं।।

कभी वो दिल से, दिल से, दिल से , दिल से निकलता ही नहीं।।



तेरी, नजरो में नहीं है कदर मेरी आजकल।

आँसुओ को, साथ लेकर, जी रहे हैं आजकल।

लाख चाहे पर तेरा दिल , दिल पिघलता ही नहीं है।

अब वो घर में ,घर में , घर मे , घर में मिलता ही नहीं।।

कभी वो दिल से, दिल से, दिल से , दिल से निकलता ही नहीं।



तेरा बचपन , आज भी अठखेलियाँ करता यहाँ।

तेरे साथी आज भी, पूछते तुझको यहाँ।

 राखी वापिस जा चुकी है ,पर तू आता ही नहीं।।

अब वो घर में ,घर में , घर मे , घर में मिलता ही नहीं।।

कभी वो दिल से, दिल से, दिल से , दिल से निकलता ही नहीं



आम में अब बौर आये बाग की डाली बुलाये।

घर के पीछे की गली और घर की हर थाली बुलाये।

 थाली सजाकर बैठती हूँ पर तू मिलता ही नहीं।।

अब वो घर में ,घर में , घर मे , घर में मिलता ही नहीं।।

कभी वो दिल से, दिल से, दिल से , दिल से निकलता ही नहीं
8
रचनाएँ
प्यार के गीत
0.0
यह पुस्तक एक काव्य संग्रह है।
1

लिख रहा हूँ।

3 फरवरी 2022
1
1
0

एक प्यार का आगोश लिख रहा हूँ। होकर मैं खामोश लिख रहा हूँ।। जिंदादिल हूँ इसलिए ए दोस्त। एक प्यार भरा जोश लिख रहा हूँ।। तूने दिल में बसने की गलती की है। एक प्यार भरा होश लिख रहा हूँ।। अदावत है तेर

2

मेरा प्यार

3 फरवरी 2022
0
1
0

अब तुम नजर आते नहीं हो। अब तुम लुभाते नहीं हो।। दिल तुमको ही पुकारता है। अब तुम पास आते नहीं हो।। मन में भी तुम्हीं बस गए हो। अब तुम क्यों लजाते नहीं हो।। रोम- रोम में तुम ही बस गए हो। अब हम क्य

3

घूमते- घूमते

3 फरवरी 2022
0
1
0

हम सभी आ गए घूमते- घूमते।। हम सभी आ गए झूमते- झूमते।। न थी जिनकी तलाश वो भी आ गए। न थी जिनको प्यास वो भी आ गए। वो भी आ गए झूमते झूमते।। ना थे जिनके अहसास वो भी आ गए। ना थे हमारे जो खास वो भी आ गए।

4

गीत मैं गाऊँ।

3 फरवरी 2022
5
3
4

तुम फिर से बोल दो तो गीत मैं गाऊँ।। तुम प्यार से बोल दो तो गीत मैं गाऊँ।। तुम दिल से मिलो तो दिल खुश हुआ। तुम दिल से बोल दो तो गीत मैं गाऊँ।। तुम साथ ही रहो तो दिल खुश हुआ। तुम अपना बोल दो तो गीत

5

चाहत

14 फरवरी 2022
1
1
0

आशिक तेरा कहाने लगा हूँ मैं।।दिल से तुझको चाहने लगा हूँ मैं।।पागल हुआ हूँ तेरे प्यार में इस कदर।गलियों में मजनूं कहाने लगा हूँ मैं।।मिल मिलकर तुझे हालत क्या हुई मेरी।पाने के तुझे ख्वाब सजाने लगा

6

समझता ही नहीं।

17 फरवरी 2022
1
1
1

गलतियाँ करके नादान, समझता ही नहीं।दिल की अपनी पहचान, समझता ही नहीं।।जिसने किया खड़ा तुझे, झूठ बोलता उसे।फर्क करती रही जुबान, समझता ही नहीं।।उसको कहता है , करता हूँ काम नेकी से।तेरी सीरत में अभिमान, समझ

7

तेरे बिन

24 फरवरी 2022
0
0
0

दुनियाँ में तेरे बिना बचा क्या है ?बिन तेरे और मेरी सजा क्या है ?चांद मेरे साथ नहीं तो बफ़ा क्या ? बफ़ा ही नहीं तो पास बचा क्या है ?बोलती ही नहीं तो वो ज़ुबाँ क्या है ?ज़ुबाँ ही नहीं तो वो तजुर्बा क्

8

माँ का दर्द

5 मार्च 2022
0
0
0

अब वो घर में ,घर में , घर मे , घर में मिलता ही नहीं।।कभी वो दिल से, दिल से, दिल से , दिल से निकलता ही नहीं।।मैं तो माँ हूँ ,सोचती हूँ, तू कहीं मिल जाएगा।तेरे पिता का ,हाल बुरा है, तू समझ ना पायेगा।।ला

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए