एक ऐसे बागवान की कहानी है जो जिन्दगी भर सींचता रहा दरख्तों को ये सोचकर जब बुढ़ापा आएगा तो छाया का आसरा देंगे पर उसे पता ही नहीं था एक दिन एक तूफान आएगा और सब कुछ उड़ा कर ले जायेगा . वो दरख्त सबसे पहले उजड़ गया और तब उस बागवान के साथ क्या-क्या हुआ ये जानने के लिए जुड़िये हमारे उपन्यास “एक और बागवान” के साथ ........