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जाको राखै साईंया मार सकै ना कोय

3 मार्च 2022

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रचनाएँ
एक और बागवान
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एक ऐसे बागवान की कहानी है जो जिन्दगी भर सींचता रहा दरख्तों को ये सोचकर जब बुढ़ापा आएगा तो छाया का आसरा देंगे पर उसे पता ही नहीं था एक दिन एक तूफान आएगा और सब कुछ उड़ा कर ले जायेगा . वो दरख्त सबसे पहले उजड़ गया और तब उस बागवान के साथ क्या-क्या हुआ ये जानने के लिए जुड़िये हमारे उपन्यास “एक और बागवान” के साथ ........
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स्वागत

14 फरवरी 2022
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“राधे राधे सक्सैना जी” गोविन्द प्रकाश जी ने एक महानुभाव को देखकर हाथ जोडकर , चलते – चलते ही बोला . सुबह का समय हो और गोविन्द जी मोर्निंग वाक पर ,पार्क म

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अपहरण

3 मार्च 2022
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जीवन में कब क्या होगा ये विधाता को पता होता है . पता नहीं विधना क्या लिखे बैठा है आपके लिए  . विधाता की ताकत ही है राम को राजगद्दी  मिलते  -  मिलते  चौदह वर्ष का बनवास हो गया था . सत्यवादी राजा हरिश्च

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बदला

3 मार्च 2022
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महेंद्र प्रकाश को यूं ही बहाना बनाते हुए अभी 10 मिनट ही गुजरे होंगे तभी उन्हें बाहर पदचाप कमरे की तरफ आती सुनाई दी। महेंद्र प्रकाश समझ गए कि वह बदमाश अब उनके पास आ रहे हैं 1 मिनट बाद दरवाजा खुला और कु

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जाको राखै साईंया मार सकै ना कोय

3 मार्च 2022
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सुबह हो चुकी थी । गोमती देवी बहुत बेचैन हो रही थी । पता नहीं क्यों आज मन नहीं लग रहा था ? अभी तक महेंद्र प्रकाश के नहीं आने से मन नहीं लग रहा था। किसी अनहोनी की आशंका से दिल बैठा जा रहा था। तभी

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तहक़ीक़ात

3 मार्च 2022
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महेंद्र प्रकाश जिंदगी की जंग तो जीत गए लेकिन असली जंग तो अभी बाकी थी जिन लोगों ने उनके साथ यह अत्याचार किया था अभी उनको सजा देना बाकी था । एक माह बाद उनको डॉक्टर ने छुट्टी दे दी और सभी खुशी खुशी उन्हे

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जान बच गई।

3 मार्च 2022
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जब से विनय ने हर्षित को बताया था कि पापा जी के साथ क्या घटा है ? तब से हर्षित को उन बदमाशों के अलावा अपने पिता गोविंद प्रकाश पर भी गुस्सा आ रहा था। पिताजी हाथ पर हाथ रखकर कैसे बैठ सकते हैं ? पिताजी को

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