मंजु महिमा
1 किताब ( 1 हिंदी )
5 रचनायें ( 5 हिंदी )
"'स्वयं अपरिचित अपने से , कैसे अपना परिचय दूँ तुमको? पहचानी जाऊं अन्यों के नाम से यह नहीं सह्य होगा मुझको ।'' कवितायेँ लिखने में रूचि, पहचान बनाने की कोशिश...kuchh नया कर जाने की चाह, हिन्दी भाषा की हिमायती । हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित कराने का निश्चय, विश्व की महान भाषाओं में इसका स्थान देखने की तमन्ना ।.lokmangal , सरल और सहज साहित्य की रचना करना ही मेरा अभीष्ट है.