शनै:शनै अपनी गति से,
सरक गया यह साल भी।
खुशियाँ लाया कहीं तो,
दे गया कई त्रास भी।
कितनों का खून बहा,
कितनों के घर उजड़े।
कितनों ने दर्द सहा,
कितनों के बढे झगड़े।
अब आगत की इस दहलीज़ पर,
यह दो हज़ार सौलह खड़ा आकर।
लगा रहा गुहार शांति ओ’प्यार
की,
चाह रहा है देना खुशियाँ संसार की।
भूल कर पुरानी सभी पीड़ा,
आओ उठाएँ अब नया बीड़ा,
सम्माननीय है, यहाँ हर आगत,
नव-वर्ष का करें हर्ष से स्वागत।
----मंजु महिमा