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ता उम्र भागते रहे सुकून की तलाश में वही नहीं खोजा जहां रहता है वो अंतरमन मे
कभी वक़्त मिले तो बुनना कुछ अनजाने सपनों को कुछ अनकही सी बातों को कभी वक़्त मिले तो बुनना ,मेरी तेरी यादों की बंधी हुई इक माला को कभी वक़्त मेल तो बुनना डॉ मनु चौधरी