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मासिक धर्म एक सवाल

9 अक्टूबर 2021

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पूछता सवाल समाज से एक मैं, बनाई तूने ये कैसी रीति है।
भरती सबका पेट जो, उसके प्रवेश पर तूने कैसे और क्यों रोक लगाई है।।
नहीं समझ आता एक और बात मुझे, मासिक धर्म की नीति किसने बनाई है।
पूजा करने पर रोक उसके लगाया क्यों, जिसके रूप में मां लक्ष्मी खुद चलकर आई है।।
साथ में एक बात और मुझे बताना, उसकी आजादी पर तूने रोक क्यों लगाई है।
क्यों बंद कर दिया उसे अलग कमरे में तूने, जो तेरा घर बचाते और सवारते आई है।।
खुद सहती लाखों दुख मासिक धर्म का वो, क्यों तूने परिवार से उसकी दूरी बनाई है।
नहीं पी सकती खुद पानी लेकर वो, जो भरती खुद घर का पानी है।।
दिन-रात करती सेवा अपने घर की, हर महीने 2 दिन के लिए घर से अलग कर दी जाती है।
महसूस कराया जाता पराये पन का उसे, घर के एक कोने में सुलाई जाती है।।
 छोटी बच्ची से लेकर एक कन्या तक, हिस्सेदार इसमें बनाई जाती है।
देखा नहीं जिसमें दुनिया को सही तरीके से, उससे भी ये रीत निभवायी जाती है।।
एक बात का और जवाब दो मुझे, कन्या तो घर की लक्ष्मी होती है।
क्यों रोकते लक्ष्मी को पूजा करने से तुम, वो कन्या रूपी लक्ष्मी तब कहां जाती है।।
पूछता संस्कार सब से यही सवाल, क्या यही 21वीं सदी है।
बंद करो इन सब कुरीति को, वो कन्या और कोई नहीं है खुद मां लक्ष्मी दुर्गा सरस्वती है।।

संस्कार अग्रवाल

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बेहद खूब। पढ़ कर अच्छा लगा की पुरुषों की लेखनी भी चलने लगी इस मुद्दे पर।👍💐

9 अक्टूबर 2021

Sanskar Agrawal

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10 अक्टूबर 2021

जी मैम आज के युवा कलमकार नई और आधुनिक विचार वाले है और निर्भीक हो कर लिखने वाले है 🙏🙏😊

Diya Jethwani

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बात सौ आने सही हैं पर औरतो के साथ ये सब ना जाने कब तक ऐसे ही चलता रहेगा..!

9 अक्टूबर 2021

Sanskar Agrawal

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10 अक्टूबर 2021

जल्द हीं बदलाव लाने की आवश्यकता है मैम इसमें 🙏🙏😊

Reeta Pradhan

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बहुत ही शानदार मार्मिक रचना संस्कार

9 अक्टूबर 2021

Sanskar Agrawal

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9 अक्टूबर 2021

Tysm 😍

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