मेरी हर सफर की मंजिल हो तुम
मेरी हर सफर की मंजिल हो तुम, देखा तुम्हें जब से मेरे दिल में बस चुकी हो तुम ।
नहीं रहता ख़ुश तुम्हारे बिना एक पल भी, मेरे चेहरे की रौनक हो तुम।।
तुम्हारे बिना वजूद नहीं मेरा यहाँ, मेरे प्यारे से दिल की पहचान हो तुम।
करता रहता इंतजार हमेशा तुम्हारा, मेरी जिंदगी जीने की वजह हो तुम।।
गुजरता जब भी तुम्हारे गली से मैं, अपने छत पर आ जाती हो तुम।
करती छुप कर बातें हमेशा मुझसे, छुप -छुप मुझसे नजरें मिलाती हो तुम।।
मिलने नहीं आती सब के सामने, अकेले- अकेले मुझसे मिलती हो तुम।
साथ में घूमती मेरे पर, ज़माने के डर से मुंह ढक कर ही रहती हो तुम।।
बताती अपने दिल का हर बात मुझे, प्यार मुझसे करती हो तुम।
लड़ती घर वालों से मेरे लिए, मना करने के बाद भी मुझसे बात करती हो तुम।।
करता नहीं कुछ खास तुम्हारे लिए, छोटी - छोटी बातों पे ख़ुश हो जाती हो तुम।
करती प्यार मुझसे बहुत, अपना मुझे बताती हो तुम।।
संस्कार कहता अपने दिल से तुम्हें आज, मेरे जीने की वजह हो तुम।
तुम्हारे शिवा कोई नहीं और मेरा, मेरे दिल में राज करती हो तुम।।
संस्कार अग्रवाल