सभी को नमस्कार दोस्तों मैं विनय शंकर आज आपके सामने एक और छोटा सा लेख प्रस्तुत कर रहा हूं जिसका उद्देश्य बच्चों को यह समझाना की माता पिता एवं गुरु के प्रति सम्मान रखना चाहिए तथा बच्चों को अपने माता पिता एवं गुरु की बात कभी भी बुरी नहीं लगनी चाहिए साथ ही यह समझना कि माता पिता के प्रति क्या जिम्मेदारी है , इन सब चीजों का छोटा सा एहसास अपने इस लेख के माध्यम से कराना चाहता हूं बच्चों क्या आप जानते हैं पहले संयुक्त परिवार हुआ करता था और परिवार के सभी लोग एक साथ रहा करते थे ,परिवार का कोई भी सदस्य कभी भी किसी भी बच्चे को कोई गलत काम करने से थप्पड़ मार दिया करते थे और बच्चों को बुरा नहीं लगता था, परंतु आजकल के बच्चे बहुत सेंसिटिव होते हैं टीचर की मार हो या मां बाप की डांट खाने के बाद उनके साथ बहस करते हैं या उसका रिप्लाई करते हैं जो कि बिल्कुल गलत तरीका है तो इस बात पर मैं आज आपको एक छोटा सा किस्सा सुनाना चाहता हूं । एक गाय जंगल के किनारे घास चरते- चरते जंगल में दूर निकल गई और अचानक उसने देखा कि जंगल में एक बाघ उसके पीछे आ रहा है यह देख गाय डर गई और गाय अपनी जान बचाने के लिए इधर उधर भागने लगी तो बाघ भी उसके पीछे दौड़ने लगा थोड़ी दूर पर एक दलदल था गाय भागती भागती उस दलदल में जा फंसी, पीछे से बाघ भी भागता हुआ वहां आ पहुंचा और जैसे ही वह गाय को खाने के लिए आगे बढ़ा वह भी दलदल में फंस गया परंतु बाघ गाय से थोड़ी दूरी पर था वह गाय को नहीं खा सकता था यह देख गाय हंसने लगी और बोली बाघ तुम तो फस गए हो फिर बाघ ने गाय से बोला, तुम हंस क्यों रही हो तुम भी तो दलदल में फंसी हो, तुम भी तो दलदल में मरोगी! गाय ने कहा नहीं मैं नहीं मरूंगी देखना तुम, शाम को जब मालिक ने देखा कि गाय उसके घर पर अभी तक नहीं आई है तो वह परेशान हुआ और वह उस गाय को इधर-उधर खोजने लगा, खोजते खोजते हुए वह जंगल की तरफ गया और उसने वहां देखा कि गाय दलदल में फंसी है उसने दो चार लोगों को बुलाया और रस्सी, लकड़ी लाकर गाय को वहां से निकाल लिया फिर गाय ने बाघ से कहा मैंने कहा था ना, मैं नहीं मरूंगी ,क्योंकि जिसको संभालने वाले होते हैं वह कभी दलदल में फंस कर मरा नहीं करते। बच्चों, हमारे टीचर्स और पेरेंट्स, आप को संभालने वाले हैं अगर आप उनकी बात मानेंगे और आप डांट के पीछे छुपी हुई उनकी चिंता को समझेंगे तो आप बुराइयों के और गलतियों के दलदल में कभी नहीं फसेंगे , इसलिए आप अपने माता-पिता टीचर्स और अपने बड़ों की बातों को हमेशा ध्यान में रखना, विशेषकर अपने माता-पिता की बात जरूर सुनिए क्योंकि वह आपकी बहुत ज्यादा चिंता करते हैं आपका घर पर इंतजार करते हैं भगवान से दुआ करते हैं कि आपकी हर एक इच्छा पूरी हो, आपको हर एक सुख प्राप्त हो, आपका हर एक सपना पूरा हो, तथा अपनी इच्छा को भुला देते हैं बच्चों आप को अपने माता-पिता एवं आपके टीचर्स की डांट का बुरा कभी नहीं मानना चाहिए बल्कि उनका हमेशा सम्मान करना चाहिए बच्चों को माता-पिता से जो कुछ भी प्राप्त होता है वह अमूल्य होता है।माता का स्नेह तथा पिता का अनुशासन हमारे व्यक्तित्व के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है क्योंकि कितने कष्टों को सहकर माता-पिता हमें पालते हैं तथा माता हमें अनेक कष्टों को सहकर जन्म देती है और हमारे अनेक गलतियों और अपराधों को वे सहते हुए क्षमा करते हैं सदैव हमारे हित का ध्यान रखते हैं बच्चों सद मार्ग पर चलने हेतु माता पिता हमेशा प्रेरित करते हैं यदि कोई डॉक्टर इंजीनियर उच्च पदों पर आसीन होता है तो उसके पीछे उनके माता-पिता का त्याग बलिदान और उनकी प्रेरणा की शक्ति निहित होती है यदि प्रारंभ से ही माता-पिता से सही सीख और प्रेरणा ना मिली होती तो संभवत समाज में वह प्रतिष्ठा और सम्मान प्राप्त नहीं कर पाता। माता-पिता की सदैव हार्दिक इच्छा होती है कि पुत्र या पुत्री बड़ा होकर उसके नाम को गौरवान्वित करें अतः हम सबका अपने माता पिता के प्रति यह दायित्व बनता है कि हम अपनी लगन, कड़ी मेहनत, परिश्रम के द्वारा उच्च कोटि का कार्य करें जिससे अपने माता पिता का नाम गौरवान्वित हो तथा सदैव ध्यान रखें कि ऐसा कोई भी कार्य ना करें जिससे माता-पिता को समाज में शर्मिंदगी का सामना करना पड़े । अतः हम सभी को अपने माता-पिता की बात माननी चाहिए अपने माता-पिता की सेवा करनी चाहिए अपने माता पिता को सम्मान दिलाने के लिए, प्रतिष्ठा दिलाने के लिए खूब कड़ी मेहनत और लगन से परिश्रम कर पढ़ाई लिखाई कर माता पिता को एक अच्छा जीवन और सुख देने का प्रयास करना चाहिए आज मैं आपको इस लेख के माध्यम से यही शिक्षा देना चाहता हूं नमस्कार*